मुख्यमंत्री नितिश कुमार इसलिए porn साइट पर बैन लगाने की कर रहे मांग, ये है उनकी चिंता की वहज...देखिए | This is why Chief Minister Nitish Kumar is demanding a ban on the porn site.

मुख्यमंत्री नितिश कुमार इसलिए porn साइट पर बैन लगाने की कर रहे मांग, ये है उनकी चिंता की वहज…देखिए

मुख्यमंत्री नितिश कुमार इसलिए porn साइट पर बैन लगाने की कर रहे मांग, ये है उनकी चिंता की वहज...देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : January 13, 2020/11:49 am IST

नई दिल्ली। पॉर्न साइट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुले मंच से भी मांग कर चुके हैं। साथ ही इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर सीधी दखल देने की मांग भी कर चुके हैं। उनकी इस चिंता के पीछे कई कारण हैं एनसीआरबी के आंकड़े भी उनकी चिंता के विषय हैं। दुनिया भर में फैले इसके अरबों डॉलर के कारोबार और व्यक्ति के साथ-साथ समाज पर पड़ रहे इसके गलत प्रभावों पर भी अध्ययन किया गया है।

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नीतीश कुमार ने पिछले महीने एक जगह कहा था, ‘ये जो पॉर्न साइट चलता है…पता चला है जो लड़कियों के साथ गलत काम करते हैं वैसी चीज को वो साइट पर लगा देते हैं….लोग देख लेते हैं। इससे मानसिकता बिगड़ती है।’ इसलिए केंद्र को ऐसे अनैतिक कंटेंट को देशभर में तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए।

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नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को जो पत्र लिखा है, उसमें ऐसे कई उदाहण भी दिए गए हैं, जिसमें अपराधी ने इंटरनेट पर ऐसे ही कंटेंट देखने के बाद आपराधिक वारदात को अंजाम दिया। नीतीश ने पत्र में लिखा है कि इस तरह के अनुचित कंटेंट से महिलाओं के खिलाफ अपराध को तो बढ़ावा मिलता ही है, लंबे समय में यह पूरे समाज की मानसिकता पर भी बुरा असर डालेगा।

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पत्र के मुताबिक, ‘मेरी नजर में बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ऐसे अनुचित कंटेंट तक असीमित पहुंच की इजाजत नहीं दी जा सकती। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के निवारण के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है। ‘ जाहिर है कि नीतीश को लगता है कि इंटरनेट के जरिए पॉर्न साइट तक पहुंच जघन्य यौन हिंसा की घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।

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बीते कुछ वर्षों में बिहार में रेप की घटनाओं में इजाफा दर्ज किया गया है और शायद मुख्यमंत्री की चिंता की वजह भी यही है। एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक 2001 में राज्य में रेप के 746 मामले दर्ज किए गए थे, जो कि 2019 में बढ़कर 1,146 तक पहुंच चुके हैं। बिहार में 2019 में फिरौती के लिए अपहरण से ज्यादा बलात्कार की घटनाओं में इजाफा हुआ।

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एनसीआरबी के आंकड़ो के मुताबिक 2018 में देश में ऐसे 862 मामले दर्ज किए गए, जिसमें लड़कियों से जुड़े आपत्तिजनक कंटेंट को इंटरनेट पर डाल दिया गया। इस लिस्ट में सबसे ऊपर ओडिशा और असम हैं, जहां ऐसे अलग-अलग 172 मामले दर्ज किए गए। बिहार भी पीछे नहीं है। यहां भी अपराधियों ने रेप के कई वारदातों को पहले तो फिल्माया और फिर उसे इंटरनेट के जरिए सार्वजनिक कर दिया।

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कानून के जानकारों के अनुसार निजता और इंटरनेट के जरिए कोई भी जानकारी लेने के अधिकार और चाइल्ड प्रोनोग्राफी कंटेंट पर पूरी तरह से पाबंदी के बीच एक बैलेंस बनाने की जरूरत है। यानि, वे अभी भी व्यस्कों को पॉर्न देखने पर किसी तरह की पाबंदी लगाने के हिमायती नहीं दिख रहे हैं। हालांकि, यह राय बिहार के सीएम की राय से पूरी तरह से अलग है, जो ऐसे साइट्स पर ब्लैंकेट बैन की मांग कर रहे हैं।

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वहीं, इंटरनेट एक्सपर्ट पॉर्न साइट को पूरी तरह से रोकने में तकनीकी बाध्यताओं की दलील दे रहे हैं। उनका कहना है कि पहले भी कुछ साइट्स को रोकने की कोशिश हो चुकी है, लेकिन प्रॉक्सी सर्वरों के जरिए यूजर बिना पहचाने फिर से मनचाहे वेबसाइट तक पहुंच बना लेते हैं।

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दुनिया भर में पॉर्न साइट का कारोबार 1,500 करोड़ डॉलर से ज्यादा है। जो हर साल बढ़ रहा है। 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ पॉर्नहब नाम की एक वेबसाइट का वीडियो 92,000 करोड़ बार देखा गया और उस साइट पर रोजाना 6.5 करोड़ लोग आए। 2014 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक स्टडी में यह बात सामने आई थी कि प्रोनोग्राफी की वजह से ब्रेन में उसी तरह की लत पैदा हो सकती है, जैसी कि ड्रग्स लेने की।