दुष्कर्म पीड़िता के मामले में नहीं होगी पुलिसकर्मियों पर FIR, हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच ने पुलिसकर्मियों को दी बड़ी राहत | There will be no FIR against the policemen in the case of rape victim, High Court Gwalior Bench gave big relief to the policemen

दुष्कर्म पीड़िता के मामले में नहीं होगी पुलिसकर्मियों पर FIR, हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच ने पुलिसकर्मियों को दी बड़ी राहत

दुष्कर्म पीड़िता के मामले में नहीं होगी पुलिसकर्मियों पर FIR, हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच ने पुलिसकर्मियों को दी बड़ी राहत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : July 6, 2021/5:32 pm IST

ग्वालियर: एक दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग लड़की ओर उसके परिवार के लोगों को ही पुलिस द्वारा थाने में रखकर उनके साथ मारपीट के मामले में हाईकोर्ट से पुलिस अधिकारियों को राहत मिल गई है। फिलहाल उनके खिलाफ न तो एफआईआर होगी और न ही विभागीय जांच होगी। लेकिन इन अधिकारियों की अपील के लंबित होने तक ग्वालियर जिले में पोस्टिंग नहीं की जा सकेगी। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही पीड़िता के जीवन की सुरक्षा एवं उसकी गरिमा की रक्षा करने के भी निर्देश दिए।

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दरअसल हाईकोर्ट ग्वालियर की डबल बेंच ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर, सीएसपी आरएन पचौरी, मुरार के तत्कालीन थाना प्रभारी अजय पवार, सिरोल की थाना प्रभारी प्रीति भार्गव, सब इंसपेक्टर कीर्ति उपाध्याय के खिलाफ विभागीय जांच एवं कठोर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। फिलहाल इनके खिलाफ मामला भी दर्ज नहीं होगा। 

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बता दें कि शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी द्वारा सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि रिट पिटीशन में एफआईआर के आदेश नहीं दिए जा सकते हैं। जिनके खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए गए हैं, उन्हें सुना नहीं गया। हाईकोर्ट ने तत्कालीन थाना प्रभारी अजय पवार तथा सब इंसपेक्टर कीर्ति उपाध्याय के खिलाफ पीड़िता के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार के लिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। इस पर दोनों ही अधिकारियों ने भी इस आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला गंभीर है, इसलिए इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई नहीं हो सकती है। इसलिए प्रकरण की भौतिक सुनवाई की जाएगी। तब तक के लिए हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया था। 

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आपको बता दें कि बलात्कार पीड़ित नाबालिग लड़की द्वारा प्रस्तुत की गई याचिका में कहा गया था कि आरोपी आदित्य सिंह भदौरिया व अन्य आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। इन लोगों ने उसके साथ मारपीट भी की थी। याचिका में कहा गया कि जब वह इस मामले की शिकायत लेकर मुरार थाना पुलिस पहुंची तो पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें ही थाने में बंद कर रखा। उसके माता.पिता को भी पुलिस ने प्रताडि़त किया। उन पर दबाव डाला जा रहा था कि वे अपने आरोप वापस ले लें। इतना ही नहीं जब वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी शिकायत की तो उन्होंने भी आरोपियों को बचाने के प्रयास किए।

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हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की इस कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिस प्रकार इस मामले में पुलिस की भूमिका रही है। उससे मामले की जांच विश्वसनीय नहीं हो सकती है। इसलिए इस मामले की जांच को सीबीआई को सुपुर्द करते हुए थाना प्रभारी अजय पवार एवं सब इंसपेक्टर कीर्ति उपाध्याय के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन सिंह गुर्जरए सीएसपी आरएन पचौरी की विभागीय जांच के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

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