नई दिल्ली: ‘चांदनी चौक’ दिल्ली विधानसभा के 70 सीटों में से वो सीट जो सबसे पुराने विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। देखा जाए तो यह कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, यहां लंबे समय तक कांग्रेस के विधायकों ने राज किया है। चांदनी चौक सीट पर सबसे सफल उम्मीदवार कांग्रेस के प्रहलाद सिंह साहनी माने जाते हैं। इस सीट पर साल 2015 की विधानसभा चुनाव में आप उम्मीदवार अल्का लांबा ने जीत दर्ज की थी। जबकि भाजपा ने 1993 के अलावा कभी नहीं जीती है।
किस पार्टी से कौन है चुनावी मैदान में
पुराने आंकड़ों को देखें तो यह सीट कांग्रेस की सिक्योर सीट है, लेकिन इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। क्योंकि इस बार राजनीतिक दलों के उम्मीवारों में बड़ा उलटफेर हुआ है और पार्टियों ने बागियों पर दांव खेला है। पिछली बार की आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाली अलका लाम्बा इस अब कांग्रेस में शामिल हो गईं हैं और पार्टी ने उनको चांदनी चौक सीट से मौदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस की टिकट से चांदनी चौक से 4 बार जीत दर्ज करने वाले प्रह्लाद सिंह साहनी आप में शामिल हो गए हैं और आप ने साहनी पर दांव खेला है। वहीं, बात भाजपा की करें तो पार्टी ने सुमन कुमार गुप्ता पर जनता का दिल जीतने का जिम्मा सौंपा है।
आंकड़े पिछले चुनाव के
2013 विधानसभा चुनाव
उम्मीदवार | पार्टी | वोट | वोटिंग परसेंटेज |
कांग्रेस | प्रहलाद सिंह साहनी | 26,335 | 37.77 |
भाजपा | सुमन कुमार गुप्ता | 18,092 | 25.95 |
आम आदमी पार्टी | विक्रम बधवार | 15,312 | 21.96 |
जेडीयू | खुर्रम इकबाल | 7,032 | 10.08 |
2015 विधानसभा चुनाव
उम्मीदवार | पार्टी | वोट | वोटिंग परसेंटेज |
आम आदमी पार्टी | अल्का लांबा | 36,756 | 49.35 |
भाजपा | सुमन कुमार गुप्ता | 18,469 | 24.79 |
कांग्रेस | प्रहलाद सिंह साहनी | 17,930 | 24.07 |
बसपा | मोहम्मद रेहान | 217 | 0.29 |
जनता की राय
चंदनी चौक विधानसभा क्षेत्र की जनता की सरकार के प्रति नारजगी देखने को मिल रही है। क्षेत्र की जनता का विधायक अल्का लांबा के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। जनता का कहना है कि यहां आज भी बिजली, पानी और सड़कों की बुनियादी समस्याएं बनी हुई है। वहीं, केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लिनीक खोलने का वादा किया था, लेकिन आज तक अता-पता नहीं है। तो इस लिहाज से ये माना जा सकता है कि चांदनी चौक में नेता बुनियादी समस्यों से निजात दिलाने के वादे करके चुनावी मैदान में उतरेंगे।
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मतदाताओं का आंकड़ा
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में कुल मतदाताओं की संख्या 1,25,684 है। मतदाताओं के आंकड़े लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ गए हैं। वहीं, इस बार कुल मतदान केंद्रों की संख्या 2689 और 13,750 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। हालांकि यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या मटियामहल और बल्लीमारान के मुकाबले काफी कम है लेकिन उनका एकमुश्त वोट नतीजे पर असर डाल सकता है।