नई दिल्ली। भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं और उनकी पूजा में किसी तरह के आडंबर की भी आवश्यकता नहीं। वे सामान्य से जल से प्रसन्न हो जाते हैं। फिर भी भक्त अपने विभिन्न मनोरथों की पूर्ति के लिए अनेक तरह के पदार्थों से उनका अभिषेक अर्चन करते हैं। भगवान शिव और उनकी महिमा के बारे में पुराणों, धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में बहुत सी बातें लिखी और बताई गई हैं. लेकिन शिव की महिमा और उनकी शक्तियों का थाह लगाना किसी के वश में नहीं है।
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भगवान शिव जितने विशाल और व्यापक हैं उतने ही वो भक्तों के लिए दायलु भी हैं। ज्योतिष कहते हैं कि शिव को मनाने के लिए और उनसे विशेष कृपा पाने के लिए अद्भुत फलदायी है शिव तांडल स्तोत्र का पाठ। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ इतना प्रभावी है कि इसके पाठ से रावण ने कैलाश पति से विशेष कृपा और शक्तियां हासिल की थीं। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ बेहद चमत्कारी और कल्याणकारी है। लेकिन इसके कुछ नियम हैं, जिनका ध्यान रखना भी जरूरी है.
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शिव तांडव स्तोत्र, भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा की गई एक विशेष स्तुति है. यह स्तुति छन्दात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं. माना जाता है कि रावण जब कैलाश लेकर चलने लगे तो शिव जी ने अंगूठे से कैलाश को दबा दिया था. फलस्वरूप कैलाश वहीं रह गया और रावण दब गया, तब रावण ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए जो स्तुति की, वह शिव तांडव स्तोत्र कहलाया. जहां रावण दबा था, वह स्थान राक्षस ताल के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
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शिव तांडव स्तोत्र शिव तांडव स्तोत्र अपने आप में पूर्ण और अत्यंत चमत्कारिक धन प्रदायक स्तोत्र है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ करने से समस्त सुख, धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को भौतिक जीवन में कोई अभाव नहीं रह जाता है। अलग-अलग मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिव तांडव स्तोत्र के अलग-अलग तरह से प्रयोग किए जाते हैं। प्रत्येक मनुष्य और खासकर गृहस्थ व्यक्ति को शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए। इससे गृहस्थ जीवन सुखमय होता है। परिवार में खुशहाली और समृद्धि आती है। दांपत्य जीवन में प्रेम और आपसी समझ विकसित होती है। इसका पाठ पति-पत्नी दोनों को करना चाहिए।
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पाठ के बाद शिव जी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें.
51 दिनों तक शिव तांडव स्तोत्र शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। कर्ज समाप्त होता है और नया कर्ज लेने की नौबत कभी नहीं आती है। अविवाहित युवक-युवतियां जिनके विवाह में किसी प्रकार की ग्रह बाधा आ रही हो वे लगातार 51 दिनों तक शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें, इससे शीघ्र विवाह का मार्ग खुलता है। आर्थिक स्थिति कमजोर हो, व्यापार व्यवसाय में हानि हो रही हो, बिजनेस ठीक से नहीं चल पा रहा हो, नौकरी में तरक्की नहीं हो पा रही हो तो शिव तांडव स्तोत्र के पांच पाठ 41 दिन तक करें। फिर स्वयं देखेंगे आपके जीवन में बदलाव आने लगा है।
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शत्रु बाधा निवारण शत्रु बाधा निवारण, मुकदमों में जीत और सर्वत्र विजय के लिए इस स्तोत्र को शाम के समय 31 दिन तक पढ़ें। सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय इस स्तोत्र के 1008 पाठ करने से यह सिद्ध हो जाता है। फिर जो चाहो वह हासिल होने लगता है। जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रह जाता है। प्रदोष के दिन या नियमित प्रदोषकाल में इस स्तोत्र का पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। रोगों से मुक्ति मिलती है। जो व्यक्ति कुंडलिनी जागरण करना चाहते हैं उन्हें इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।
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सावधानी
शिव तांडव स्तोत्र एक जागृत और सिद्ध स्तोत्र है। इसके पाठ में कुछ सावधानियां रखना अत्यंत आवश्यक हैं, वरना इसका लाभ नहीं मिलता और आपकी साधना व्यर्थ जा सकती है। इस स्तोत्र का पाठ करते समय उच्चारण की शुद्धता रखें। धीरे-धीरे आराम से पढ़ें लेकिन पढ़ने में कोई गलती ना हो। स्तोत्र का पाठ करते समय बीच में ना बोलें, ना किसी की बात का जवाब दें। पूर्ण ध्यान और एकाग्रता से इसका पाठ करें। जब तक स्तोत्र याद ना हो जाए तब इसका पाठ करते समय नेत्र की सीध में शिवलिंग रखें या भगवान शिव का चित्र रखें। जब स्तोत्र कंठस्थ हो जाए तो आंखें बंद करके अपने दोनों नेत्रों के मध्य में ध्यान लगाएं। पाठ करते समय आचरण और विचारों की शुद्धता रखें। पाठ करते वक्त शुद्ध, साफ, धुले हुए कपड़े पहनें।
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