बिलासपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कोई सजा या फिर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा है कि संबंधित अधिकारी या कर्मचारी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद अपनी सेवा अवधि के सभी लाभ पाने का अधिकार है।
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हाईकोर्ट ने एक जिला जज को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के खिलाफ पेश की गयी याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जिला जज की नियुक्ति के बाद से ही सर्विस रिकार्ड में लगातार विपरीत टिप्पणियों के आधार पर याचिका खारिज कर दी है।
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अपने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ जिला जज रेशमलाल कुर्रे ने हाईकोर्ट में याचिका लगायी थी। रेशमलाल कुर्रे का 1995 में सिविल जज क्लास टू के पद पर चयन हुआ था और 2011 में उनके सर्विस रिकार्ड को देखते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला लिया गया था। चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।