रायपुर, छत्तीसगढ़। टोटल लॉकडाउन के दौरान वीआईपी रोड में पार्टी और फायरिंग की घटना के बाद सुर्खियों में आए क्वींस क्लब परिसर में बोतलों की ढेर लगी है। परिसर में फैली बोतलों की ढेर ये बताने को काफी है कि लॉकडाउन में भी क्लब में जमकर शराब परोसी गई। बोतलों में दर्ज मेनिफेक्चरिंग डेट बताती है कि किस तरह यहां लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाई गई। ‘क्लब के किंग्स’ का रसूख ऐसा कि अब तक यहां कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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कोई अपने रसूख के दम पर किस हद तक नियमों का मखौल उड़ा सकता है। कोई अपने पहुंच-पकड़ के दम पर मनमानी की किस हद तक जा सकता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बन चुका है। राजधानी का क्वींस क्लब 27 सितंबर 2020 को टोटल लॉकडाउन के दौरान रायपुर क्वींस क्लब में जन्मदिन के नाम पर नशे की पार्टी करवाने वाले। रसूखदार संचालकों की पहुंच और प्रभाव के बारे में एक नहीं कई दफा सवाल पूछे जा चुके हैं, जिनका जवाब अब तक नहीं मिला है। लेकिन क्लब संचालकों को लेकर नए खुलासे ने सभी को बेहद चौंका दिया है।
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नए संचालकों ने आम लोगों तो छोड़िए। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की कॉलोनी। तक का रास्ता रोक दिया है। अब इसे रसूख का असर कहें या प्रशासन की घोर अनदेखी। बीते कई महीनों से विधायक कॉलोनी तक जाने वाला। क्लब साइड का रास्ता ब्लॉक करके रखा गया है, जिसे लेकर वहां रहने वाले विधायकों ने विधानसभा में मुद्दे को उठाया। रास्ता खुलवाने की गुहार लगाई फिर भी कार्रवाई शून्य है, जिसके बाद नाराज बीजेपी और कांग्रेस विधायकों ने क्वींस क्लब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में जेसीसीजे विधायक धर्मजीत सिंह का ये बयान साबित करने के लिए काफी है कि क्वींस क्लब के संचालक अपने रसूख के दम पर किस हद तक मनमानी कर रहे हैं। विधानसभा में मामला गूंजने के बाद IBC24 की टीम विधायक कॉलोनी पहुंची और वहां जो तस्वीर दिखी वो हैरान करने वाली है। आप खुद तस्वीरों के जरिए देख सकते हैं कि कैसे विधायक कॉलोनी की तरफ से क्लब तक जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया है। रास्ते पर रेत की ढेर, बोल्डर, सीमेंट के पाइट, लकड़ी के टुकड़े क्वींस क्लब के संचालकों की मनमानी बताने के लिए काफी है।
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विधायक कॉलोनी में रहने वाले सांसद, अधिकारी, विधायक परिवार के सदस्य इस मनमानी से बेहद नाराज हैं। सबका यही कहना है कि इससे पहले भी रास्ता बंद किया जाता रहा है, लेकिन बाद में खोल भी दिया जाता था। लेकिन नए संचालक बनने के बाद पिछले 6 महीनों से क्लब तक जाने के रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
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ये बात इसलिए भी हैरान करने वाली है क्योंकि क्वींस क्लब का निर्माण ही विधायकों, सांसदों के लिए किया गया था, लेकिन क्लब रसूखदार संचालक उनका ही रास्ता बंद करने की हिमाकत कर रहे हैं। हालांकि उनकी इस हिमाकत पर जनप्रतिनिधियों का गुस्सा भी फूट रहा है। वो रास्ता को फिर से बहाल करने के साथ साथ क्लब का कांट्रेक्ट रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
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जाहिर है क्लब के संचालक हरबक्श सिंह बत्रा ने 9.11 करोड़ रुपए का सौदा कर क्लब के संचालन का अधिकार चंपालाल जैन, नेहा जैन, हर्षित सिंघानिया और मिनाली सिंघानिया को सौंप दिया था। इस डील के बाद ही इस साल 30 जनवरी को चंपालाल जैन और हर्षित सिंघानिया को हरबक्श बत्रा ने अपनी कंपनी एमिनेंट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में बतौर डायरेक्टर शामिल किया था। आरोप है कि नए डायरेक्टर के आने के बाद से क्लब में कई तरह की संदिग्ध और गैर कानूनी गतिविधियां संचालित कराई गई। लेकिन पुलिस ने अबतक इन गैरकानूनी और संदिग्ध गतिविधियों को लेकर नमित जैन से कोई पूछताछ नहीं की है। FIR में नमित जैन का नाम भी हैऔर शहर के जानकारों के मुताबिक क्लब में पार्टीज और अन्य गतिविधियों में नमित जैन की सक्रिय भूमिका रही है। राजनेताओं और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से मीडिया के जरिये मेलजोल बढ़ाकर रसूख के दाम पर लॉकडाउन में भी शराब पार्टियां और अन्य गतिविधियां संचालित करता रहा। ऐसे में बार-बार ये सवाल उठ रहा है कि पुलिस ने अब तक जो CDR जब्त की है।उसकी जांच कर आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की जा रही ? अब तो विधायक कॉलोनी में रहने वाले सीधा-सीधा आरोप लगा रहे हैं कि नए संचालकों के आने के बाद ही विधायकों, सांसदों का रास्ता बंद कर दिया गया। ऐसे में अब देखना होगा कि विभाग और सरकार इन संचालकों की मनमानी पर किस तरह नकेल कस पाती है।।
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