पंच तत्व में विलीन हुए गृहस्थ संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री 'दद्दा जी', पुत्र ने दी मुखाग्नि | The householder saint Pandit Dev Prabhakar Shastri merged with the five elements Son gave fire

पंच तत्व में विलीन हुए गृहस्थ संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री ‘दद्दा जी’, पुत्र ने दी मुखाग्नि

पंच तत्व में विलीन हुए गृहस्थ संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री 'दद्दा जी', पुत्र ने दी मुखाग्नि

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:47 PM IST
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Published Date: May 18, 2020 7:44 am IST

कटनी। गृहस्थ संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी पंच तत्व में विलीन हो गए हैं। अंतिम संस्कार झिंझरी स्थित दद्दा धाम में संपन्न हुआ । गृहस्थ संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री को उनके बेटे अनिल अनिल शास्त्री ने मुखाग्नि दी है।

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बता दें कि मध्यप्रदेश के गृहस्थ संत पंडित देवप्रभाकर शास्त्री यानि दद्दा जी का रविवार 17 मई रात बजे के करीब निधन हो गया था। लंबे समय से बीमार चल रहे दद्दाजी ने रविवार रात करीब साढ़े आठ बजे कटनी स्थित दद्दा धाम में अंतिम सांस ली, सीएम शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ के साथ निधन पर शोक जताते हुए श्रद्धांलजि दी है। दद्दा जी पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। डॉक्टरों के जवाब देने के बाद उन्हें शनिवार को कटनी के दद्दा धाम स्थित आवास लाया गया था। जहां 81 साल की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली, इस दौरान उनके परम शिष्य प्रख्यात अभिनेता आशुतोष राणा और राजपाल यादव भी कटनी में ही मौजूद थे।

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बता दें कि दद्दाजी की तबीयत नाजुक होने की खबर लगते ही देशभर में मौजूद उनके शिष्य बड़ी संख्या में शनिवार रात से ही कटनी स्थित दद्दाधाम में उनके दर्शनों के लिए पहुंचने लगे थे। मध्यप्रदेश में दद्दा अनेक राजनेताओं के आध्यात्मिक गुरू रहे हैं । दद्दाजी का जन्म 19 सितम्बर 1937 को तत्कालीन जबलपुर जिले के कूंडा गांव में हुआ था।

मध्यप्रदेश के महान संत, आध्यात्मिक गुरु, दद्दा जी ने दुनिया को अलविदा कह दिया, उन्होंने कटनी के दद्दा धाम कॉलोनी में अंतिम सांस ली, दद्दा जी पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों के जवाब देने के बाद उन्हें शनिवार को मध्यप्रदेश के कटनी स्थित दद्दा धाम लाया गया। जहां 81 साल के दद्दाजी ने आखिरी सांस ली।

सारा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित करने वाले इस इस महात्मा का जन्म अनंत चतुर्दशी के दिन 1939 को बहोरीबंद तहसील के कूंडा मर्दानगढ़ गांव में हुआ था, इनके पिता एक साधारण किसान थे, दद्दा जी की प्राथमिक शिक्षा नजदीकी खम्हरिया एवं नारायणी संस्कृत विद्यालय कटनी में हुई। उच्च शिक्षा वारणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय काशी में प्राप्त की…उसी दौरान दद्दा जी को स्वामी करपात्री जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। दद्दा जी स्वामी करपात्री जी से दीक्षा लेकर शिष्य बन गए। दद्जा जी मिर्जापुर के संस्कृत विद्यालय में प्रधानाचार्य भी रहे, उसके बाद 1962 में वापस कूंडा गांव वापस आकर मानव कल्याणार्थ, देश प्रदेश के अनेक स्थलों में श्रीमदभागवत, शिव् पुराण देवी पुराण कथा और यज्ञ सम्पन्न कराए।

संत दद्दा जी के शिष्यों में नामचीन हस्तियां शामिल हैं. राजनीतिज्ञों से लेकर फिल्मी कलाकार तक उनके शिष्य हैं। दद्जा जी आज लाखों शिष्य परिवार, भक्तगण को छोड़कर हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हो गए हैं, लेकिन उनकी ….मानव कल्याणार्थ के लिए किए गए कार्य हमेशा अमर रहेंगे।

 
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