भोपाल। सरकार द्वारा गुरूवार को शिकायतों की जांच के आदेश दिए जाने के बाद व्यापमं घोटाले में पेंडिंग शिकायतों की जांच फिर से शुरू हो गई है। STF ने 197 शिकायतों की जांच शुरू कर दी है। इस जांच में यदि गड़बड़ी के तथ्य मिले तो FIR पर फैसला लिया जाएगा। व्यापम घोटाले की 2016 में CBI जांच शुरु होने पर STF ने सभी शिकायतों को वापस भेजा दिया था।
इस मामले में मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व सीएम दिग्जिवय सिंह (Digvijaya Singh) ने दो दिन पहले सीएम कमलनाथ को पत्र लिखा था। इस पत्र के जरिये उन्होंने घोटाले के मुख्य आरोपियों को कानून के दायरे में लाकर सजा दिलाने के लिए आवश्यक पहल करने की मांग की है। दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने पत्र में कहा है, ‘वर्ष 2013 में चिकित्सा महाविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा के दौरान व्यापम घोटाला उजागर हुआ। इस घोटाले को सिर्फ मेडिकल परीक्षा तक सीमित रखा गया। तत्कालीन सरकार ने विद्यार्थियों को मोहरा बनाया और मामले में सिर्फ छात्रों व युवाओं को आरोपी बनाया, जबकि इस घोटाले को अंजाम देने वाले मुख्य आरोपियों को बचाया गया।’
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पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने आगे लिखा, ‘पीएमटी प्रवेश परीक्षा के घोटाले में 1450 छात्रों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और उनके परिजनों को भी इस बाबत आरोपी बनाया गया। लगभग तीन हजार लोगों को कुल मिलाकर आरोपी बनाया। यह घोटाला पीएमटी परीक्षा तक सीमित नहीं है, जबकि नौकरी में भर्ती के लिए व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भी घोटाला हुआ। वर्तमान में फर्जी तरीके से चयनित लोग नौकारी कर रहे हैं।’ सिंह ने हरियाणा में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले का उदाहरण देते हुए कहा, ‘वहां घोटाला सामने आने पर अभ्यर्थियों को सरकारी गवाह बनाया गया था जिसकी वजह से मुख्य आरोपियों को सजा मिली, जबकि मध्य प्रदेश में अभ्यर्थियों को आरोपी बना दिया गया।’
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