भोपाल । देश के नामचीन पत्रकार राजकुमार केसवानी का निधन हो गया है। जानकारी के मुताबिक कोरोना संक्रमण के चलते उनके फेफड़े 70 प्रतिशत डेमेज हो गए थे। राजधानी भोपाल में उनका करीब एक माह से इलाज चल रहा था । उनका जाना पत्रकार जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। वे पत्रकारिता के चलते फिरते संस्थान थे। दैनिक भास्कर अखबार में वो इंडियन सिनेमा पर समीक्षात्मक लेख लिखते थे।
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उर्दू और हिंदी शैली में राजकुमार केसवानी की लेखनी अलग ही छाप छोड़ती थी। उनके लेखन में रवानी थी, खूबसूरती थी, ऐसी शैली अब विरले ही देखने को मिलती है।
केसवानी का जन्म 26 नवंबर 1950 में भोपाल में हुआ था। केसवानी पहले पत्रकार थे जिन्होंने भोपाल त्रासदी में सुरक्षा चूक की ओर ध्यान आकर्षित किया था। 3 दिसम्बर सन् 1984 को इस भयानक औद्योगिक दुर्घटना में 15 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी।
26 नवम्बर 1950 को भोपाल में जन्मे राजकुमार केसवानी की पहचान एक कवि-लेखक-पत्रकार के रूप में है। कच्ची उम्र में ही उर्दू शायरी की तरफ़ रुझान हुआ। 1968 में पत्रिका स्पोर्ट्स टाईम्स में सह-सम्पादक की भूमिका से लेकर द न्यूयार्क टाईम्स, द इलस्ट्रेटेड वीकली आफ़ इंडिया, संडे, द संडे आब्ज़र्वर, इंडिया टुडे, आउट्लुक, इकॅानोमिक एंड पोलिटिकल वीकली, इंडियन एक्सप्रेस, जनसत्ता, दिनमान, न्यूज़ टाईम, ट्रिब्यून, द वीक, द एशियन एज, द इंडिपेंडेंट जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों से विभिन्न रूपों में जुड़े रहे।
1998 से 2003 तक एनडीटीवी के मध्यप्रदेश-छतीसगढ ब्यूरो चीफ़ और 2003 से दैनिक भास्कर, इन्दौर संस्करण के संपादक से लेकर भास्कर समूह में मैगजीन संपादक के पद पर 2010 तक कार्यरत रहे। 1984 में विश्व की भीषणतम भोपाल गैस त्रासदी की ढाई वर्ष पहले से अख़बारों के ज़रिए लगातार चेतावनी और फिर गैस पीड़ितो के लिए लंबे संघर्ष के लिए अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले।
श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए इंडियन एक्स्प्रेस समूह का बी.डी. गोयनका अवॅार्ड (1985), पर्यावरण के मुद्दों पर रिपोर्टिंग के लिए प्रेम भाटिया अवॅार्ड (2010) से सम्मानित। कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (CBC) द्वारा पत्रकारिता में उल्लेखनीय अवदान को रेखांकित करती डॅाक्यूमेंट्री भोपाल – अ प्रेयर फ़ॉर जस्टिस के अलावा हॅालीवुड फिल्म भोपाल- अ प्रेयर फ़ॉर रेन में भी राजकुमार केसवानी को एक क्रूसेडर वाली भूमिका में केंद्र में रखकर बनाया गया।