रायगढ़। रायगढ़ शहर से लगे गोपालपुर इलाके की वनभूमि में पूरा का पूरा एक गांव बस गया, और तो और पंचायत भवन और आंगनबाडी केंद्र तक बना दिए गए। वन विभाग को सालों तक इसकी खबर नहीं थी। अब मामला उजागर होने के बाद वन विभाग ने जहां इलाके के लोगों को अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर रहा है तो वहीं ग्रामीण कार्रवाई को गलत बताते हुए इसे पंचायत की भूमि बताकर जमीन के पट्टे की मांग कर रहे हैं।
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रायगढ़ शहर की सीमा से लगे ग्राम पंचायत गोपालपुर में तकरीबन 20 हैक्टेयर की वन भूमि पर कोरिया दादर नाम का पूरा का पूरा गांव बस गया है। वन विभाग के रिकार्ड में ये जमीन गोपालपुर वनखंड के कक्ष क्रमांक 956 पीएफ के रुप में दर्ज है। बताया जाता है कि कुछ साल पहले एक दो घरों के निर्माण से सिलसिला शुरु हुआ और फिर पूरी की पूरी बस्ती गांव में बस गई। बस्ती बसी तो गोपालपुर पंचायत ने आश्रित ग्राम बताते हुए गांव में आंगनबाडी भवन, और स्कूल के साथ साथ स़ड़क भी बना दी।
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इस मामले की सालों तक वन अमले को खबर नहीं थी। वन अमले ने कुछ समय पहले सीमांकन शुरु किया तो उन्हें वनभूमि पर अतिक्रमण की जानकारी मिली। सर्वे कराया गया तो तकरीबन 20 हैक्टेयर जमीन पर 114 लोगों का कब्जा पाया गया। शासकीय रिकार्ड में ये जमीन छोटे झाड़ के जंगल के रुप में दर्ज है। साख बचाने के लिए वन अमले ने आनन फानन में इलाके के लोगों को बेदखली का नोटिस जारी कर दिया। लेकिन इसे लेकर अब गांव के पंच व स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।
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पंच का कहना है कि कोरियादादर की जमीन गोपालपुर पंचायत के हिस्से में आती हैं। और इसमें से 30 एकड़ का हिस्सा प्लांटेशन के लिए वन विभाग को दिया गया था। लेकिन कागजों में अब तक ये दुरुस्त नहीं हुआ है। वन अमला पूरी जमीन को अपना बता रहा है। ऐसे में पूरे गांव के लोगों को नोटिस जारी कर दिया गया है। पंचायत का कहना है कि रिकार्ड दुरुस्त कर सालों से काबिज इन लोगों को स्थायी पट्टा दिया जाए।
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इधर मामले में वन विभाग के अधिकारी इसे बेजा कब्जा बता रहे हैं। डीएफओ का कहना है कि कागजों में ये जमीन छोटे झाड़ के जंगल के रुप में दर्ज हैं लिहाजा ये जमीन वन भूमि है। इस जमीन पर लोगों के काबिज होने की जानकारी मिली थी जिसके बाद उन्हें बेदखली के लिए नोटिस जारी किया गया था। मामले में नियमानुसार बेदखली की कार्रवाई की जाएगी।
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