अनोखा है माता 'दुर्घटा' का दरबार, कुंड की पूजा करने मात्र से पूरी होती है भक्तों की मनोकामना | The court of Mother 'Durghata' is unique, worshiping the Kund is fulfilled by the wishes of the devotees.

अनोखा है माता ‘दुर्घटा’ का दरबार, कुंड की पूजा करने मात्र से पूरी होती है भक्तों की मनोकामना

अनोखा है माता 'दुर्घटा' का दरबार, कुंड की पूजा करने मात्र से पूरी होती है भक्तों की मनोकामना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : April 1, 2021/11:08 am IST

सिंगरौली: यूं तो देश में कई देवस्थल हैं जो अपनी अलग-अलग चमत्कारिक कहानियों से भरे पड़े हैं। लेकिन उनमें से खास है तो सिंगरौली में स्थित चमत्कारिक देवी मंदिर जहां पर कुंड की पूजा होती है। जी हां यहां पर देवी की कोई भी मूर्ति स्थापित नहीं है और आने वाले भक्त कुंड को पूजते हैं।

Read More: सांसद किरण खेर को ब्लड कैंसर, भावुक होकर पति अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर कही ये बात

देवी देवताओं को उनके भक्त अनेक रूपों में पूजते हैं। शिव के अनेक रूप हैं तो शक्ति के भी, लेकिन सिंगरौली के इस धाम में किसी देव-या देवी की नहीं बल्की कुंड की पूजा की जाती है। हम बात कर रहे हैं सिंगरौली जिले के बरगवां इलाके में दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित माता दुर्घटा मंदिर की। सिंगरौली जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित है माता दुर्घटा का यह मंदिर, पहाड़ी और सकरे रास्तों से गुजर कर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना पूर्ती के लिए पहुंचते हैं और माता दुर्घटा हर श्रद्धालु की श्रद्धा से मांगी गई मुराद को पूरी करती हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो यहां उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ सहित लगभग पूरे मध्यप्रदेश के लोग माता दुर्घटा के दर्शन करने पहुंचते हैं।

Read More: सांसद सुनील सोनी ने कोरोना के बढ़ते आंकड़े को लेकर राज्य सरकार पर साधा निशाना, कहा- नहीं दिख रहा नाइट कर्फ्यू का असर

इस स्थान को लेकर कई जनश्रुतियां भी प्रसिद्ध हैं। पुजारी के अनुसार माता दुर्घटा का यह स्थान सबसे पहले यहां के स्थानीय चरवाहों ने देखा था। उसके बाद चरवाहे यहां लगातार पूजा अर्चना करने लगे। पूजा के लिए चरवाहों के पास नारियल और फूल जैसी वस्तुएं नहीं थी। माता दुर्घटा को चढ़ाने के लिए चरवाहे अपने गाय और बकरी से निकलने वाला दूध माता को चढ़ाने लगे, जिसके बाद से इस स्थान का नाम दुर्घटा माता पड़ गया।

Read More: कोरिया बीजेपी में अंतर्कलह! धर्मेंद्र पटवा को मंडल अध्यक्ष बनाये जाने के बाद शुरू हुई नाराजगी, पूर्व मंत्री और जिलाध्यक्ष के बीच मतभेद तक पहुंची

जानकार यह भी बताते हैं कि कभी यहां सोने का त्रिशूल प्रकट हुआ करता था, जो यहां के स्थानीय लोग काट कर ले जाया करते थे। इसी वजह से दुर्घटा माता के मंदिर में आज भी लोग श्रद्धा भाव से त्रिशूल चढ़ाते हैं, इसके अलावा दूर-दूर से पहुंचने वाले श्रद्धालु यहां अपने छोटे-छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार करवाते हैं। माता के मंदिर में नवरात्रि पर मेला लगता है। इस मेले में पूरे प्रदेश सहित आसपास के पड़ोसी राज्यों से भी लोग पहुंचते हैं और बिना मूर्ति वाला दुर्घटा मां का ये दाम भक्ति भाव से भर उठता है।

Read More: नंद्रीग्राम पोलिंग बूथ में धरने पर बैठीं ममता, कहा- वोट नहीं डालने दे रहे बाहरी.. 3.30 बजे तक बंगाल में 71.07%, असम में 63.03% वोटिंग