नई दिल्लीः मोदी सरकार के कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। पिछले 47 दिनों से पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर डटे हुए हैं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की समस्या के निदान के लिए एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम एक कमेटी बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो. हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी में नहीं जाएंगे।
वहीं, दूसरी एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। 400 किसानों के निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले दुष्यंत दवे, एचएस फूलका, कॉलिन गोंसाल्वेस ने आज एससी की कार्यवाही में भाग नहीं लिया। कई व्यक्ति चर्चा के लिए आए थे, लेकिन इस बातचीत के जो मुख्य व्यक्ति हैं, प्रधानमंत्री नहीं आए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कह सकते कि आप मीटिंग में जाओ। वह इस केस में कोई पार्टी नहीं हैं।
एससी के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का कहना है कि कानूनों के कार्यान्वयन को राजनीतिक जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे विधानों पर व्यक्त चिंताओं की एक गंभीर परीक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए।
Farm laws: Advocate ML Sharma says, the farmers are saying many persons came for discussions, but the main person, the Prime Minister did not come.
We cannot ask the Prime Minister to go. He is not a party in the case, says CJI. https://t.co/GWoZtGd1Zg
— ANI (@ANI) January 12, 2021