न पंडित, न बैंड बाजा, संविधान की शपथ लेकर दूल्हा-दुल्हन ने लिए 7 फेरे, खाई उम्र भर साथ निभाने की कसम, देखिए... | The bride and groom Got Wedding by taking the oath of constitution

न पंडित, न बैंड बाजा, संविधान की शपथ लेकर दूल्हा-दुल्हन ने लिए 7 फेरे, खाई उम्र भर साथ निभाने की कसम, देखिए…

न पंडित, न बैंड बाजा, संविधान की शपथ लेकर दूल्हा-दुल्हन ने लिए 7 फेरे, खाई उम्र भर साथ निभाने की कसम, देखिए...

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:53 PM IST
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Published Date: December 10, 2019 2:13 am IST

खरगोन: हर समाज के लोग शादी को यादगार बनाने के लिए जमकर फिजूलखर्ची करते है ताकि शादी हमेशा याद रहे। बारात में भी बैंडबाजे और आतिशबाजी की जाती है ताकि दुल्हन पक्ष के लोग दूल्हे पक्ष को कमजोर नही आंक सकें। लेकिन खरगोन में एक ऐसी शादी देखने को मिली है जो शायद अपने आप में भारत देश की पहली शादी होगी। जी हां यहां दुल्हा-दुल्हन ने अनोखे अंदाज में शादी कर पूरे समाज और युवाओं के सामने एक अनोखी मिशाल पेश की है। अगर आपको लग रहा है कि हम दहेज की बात कर रहे हैं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

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दरअसल कसरावद निवासी दूल्हे वज्र कलमें और खरगोन की दुल्हन अंजली रोकड़े ने अपनी शादी में अग्नि को साक्षी मानकर नहीं, बल्कि संविधान को साक्षी मानकर 7 फेरे लिए हैं। दुल्हा दुल्हन ने संविधान की शपथ लेकर एक दूसरे को वरमाला पहनाया और उम्रभर साथ निभाने की कसम खाई। यहां दोनों नव दंपति ने पंडित के बजाए बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे गए भारत के संविधान की किताब को ही साक्षी मानकर शादी की है।

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गौर करने वाली बात यह है कि दूल्हे-दुल्हन ने अपनी शादी में न तो मामा से मामेरा लिया और न ही रिश्तेदारों से मिलने वाली पेरावनी ली। ताकि शादी में होने वाली फिजूलखर्ची को रोका जा सके। इस अनोखी शादी में पहुँचे लोगो ने भी दूल्हा-दुल्हन के इस साहसिक कदम पर प्रसन्नता जाहिर की है।

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अनोखी शादी को लेकर दूल्हे वज्र कलमें का कहना है हम समाज को यह संदेश देना चाहते है कि दहेज से लेकर जितनी भी कुरुतिया समाज मे फैली हुई है, उसे रोका जाए। ताकि कोई कर्ज के बोझ तले न दब सकें। इसीलिए हमने भारत के संविधान की शपथ लेकर शादी की है। हमने ऐसी शादी इसलिए भी की ताकि संविधान के प्रति सम्मान हो सकें। साथ ही समाज मे फैली कुरूतियों को रोकने का हम एक सार्थक प्रयास कर रहे है।

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वहीं खरगोन निवासी दुल्हन अंजली रोकड़े का कहना है कि सबसे पहले तो हम भारत के संविधान को प्राथमिकता देना चाहते है। साथ ही हम समाज और लोगों को यह बताना चाहते हैं कि कोई भी इस संविधान को हल्के में न ले। आज भारत मे जितने भी काम हो रहे हैं, वे संविधान के मुताबिक ही हो रहे हैं। चाहे वह सरकारी काम हो या सामाजिक काम। रही बात धूमधाम से शादी करने की तो हम समय की बर्बादी और फिजूलखर्ची को रोकने के लिए दोनों ने यह कदम उठाया है।

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