सिलगेर में तनाव नक्सली साजिश ! देखें क्या चाहते हैं नक्सली | Tension Naxalite conspiracy in Silger! See what the Naxalites want

सिलगेर में तनाव नक्सली साजिश ! देखें क्या चाहते हैं नक्सली

सिलगेर में तनाव नक्सली साजिश ! देखें क्या चाहते हैं नक्सली

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : May 20, 2021/6:24 pm IST

बस्तर के सिलगेर कैंप में 17 मई को हुई गोलीकांड के बाद हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं।  ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बीच चली गोली..और सवालों में घिरने के बाद पुलिस ने बयान जारी कर साफ कर दिया है कि घटना में मारे गए लोग नक्सल सहयोगी संगठन के सदस्य थे। पुलिस ने ये भी दावा किया कि उग्र ग्रामीणों की आड़ लेकर नक्सलियों ने पहले पुलिस पर फायरिंग की..जिसपर उनकी तरफ से जवाबी कार्रवाई हुई..दूसरी ओर सर्व आदिवासी समाज ने मामले में 14 सदस्यीय जांच दल गठित किया है..तो वहीं प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि..जब तक कैंप नहीं हटेगा..विरोध जारी रहेगा।

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बीजापुर और सुकमा जिले की सरहद पर खोले गए सिलगेर पुलिस कैंप को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है..ग्रामीणों का आरोप है कि प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने पहले गोली चलाई..जबकि पुलिस का दावा है कि ग्रामीणों की आड़ में नक्सलियों ने पहले कैंप पर हमला किया गया। जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की है। जाहिर है पूरे घटनाक्रम पर दोनों पक्षों का अपना-अपना दावा है।

दरअसल सिलगेर में पिछले एक हफ्ते से ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं..लेकिन सोमवार को प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया..जवाबी गोलीबारी में 3 ग्रामीणों की मौत हो गई।
तीनों की शिनाख्त नक्सली सदस्य के तौर पर हुई है..जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि…
क्या ग्रामीणों की आड़ में नक्सली कर रहे थे पुलिस कैंप का विरोध..?
 बार-बार कैंपों का विरोध क्यों हो रहा ?
क्या नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण कैंपों का विरोध कर रहे हैं..?
नक्सली प्रोपेगेंडा को क्यों मिल रही कामयाबी..?
सवाल ये भी कि गोलीबारी की नौबत क्यों आई ?

जनप्रतिनिधियों ने आगे आकर स्थिति क्यों नहीं संभाली..? 

ऐसे कई सवाल हैं..जो सिलगेर में हिंसक आंदोलन के बाद खड़े हो रहे हैं।
वहीं  स्थानीय जानकारों के मुताबिक इस घटना का सीधा लाभ नक्सलियों को होगा..

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 बस्तर में पिछले कुछ समय में ये देखा जा रहा है कि नया कैंप खुलते ही उसका विरोध शुरू हो जाता है। ग्रामीणों का तर्क होता है कि पुलिस नक्सली बताकर उन्हें गिरफ्तार करती है। जबकि पुलिस तर्क देती है कि ग्रामीण नक्सलियों के दबाव में ऐसा करते हैं। बहरहाल सिलगेर मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है।  बीजेपी जहां इसके लिए राज्य सरकार की नीतियों को दोषी ठहरा रही है, तो वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि..बस्तर में लगातार हो रहे विकास कार्यों से घबराए नक्सली ग्रामीणों को भड़काने का काम कर रहे हैं।

 बहरहाल.. सिलगेर कैंप के विरोध में प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि कैंप के हटने तक वो इसी तरह अपना विरोध जताते रहेंगे और मौक़े पर डटे रहेंगे..हालांकि शासन-प्रशासन मामले को संभालने में जुटा है..लेकिन सिलगेर में जो मौजूदा हालात हैं…वो बस्तर में नक्सलियों की बदली रणनीति का एक हिस्सा है..जिसमें उन्हें काफी हद तक कामयाबी भी मिल रही है..अब सवाल है..नक्सलियों के इस नए दांव का जवाब बस्तर पुलिस किस तरह देने वाली है ।