रायपुरः देश में लाखों लोगों की श्रद्धा से जुड़े राम मंदिर के निर्माण के लिए..वीएचपी-आरएसएस सहित कई संगठन चंदे के जरिए राशि जुटा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी 14 जनवरी से समर्पण राशि जुटाने का अभियान जारी है। इसी बीच भूपेश सरकार चंदा अभियान पर सवाल उठाते हुए राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को पत्र लिखा है और पूछा है कि ’चंदे के लिए कौन-कौन अधिकृत है? जिस पर बीजेपी ने कहा कि धन संग्रहण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है। अगर गड़बड़ी हुई है, तो सरकार कार्रवाई करे, जबरन भ्रम ना फैलाएं।
जाहिर है मुख्यमंत्री के इस बयान पर बवाल मचना तय था, हुआ भी ऐसा ही। जैसे ही छत्तीसगढ़ सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी चंपत राय को पत्र लिखकर राम मंदिर के लिए चंदा वसूलने वालों की लिस्ट मांगी, तो विपक्ष ने भी फौरन कांग्रेस को राम विरोधी होने के आरोप को ताजा कर दिया। राम मंदिर के चंदे पर सवाल-जवाब का ये सिलसिला बिलासपुर में एक महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद शुरू हुआ। महिला पर कथित आरोप है कि वो फर्जी रसीद छपवाकर राम मंदिर के नाम पर लोगों से चंदा वसूल रही थी। मामला सामने आने के बाद राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने चंदे के नाम पर अवैध वसूली और फर्जीवाड़े का जिक्र करते हुए चंपत राय को पत्र लिखकर पूछा है कि छत्तीसगढ़ में सहयोग राशि को इकट्ठा करने के किए कौन-कौन अधिकृत है? इसकी जानकारी मुहैया कराई जाए, जिससे मंदिर निर्माण के नाम पर किए जा रहे अवैध वसूली पर रोक लगाई जा सके। राम मंदिर के चंदे पर राज्य सरकार के सवाल पूछने पर पर विपक्ष ने कांग्रेस के चरित्र पर ही सवाल उठा दिया।
इससे पहले गुरुवार को एक दिन के दौरे पर रायपुर आए चंपत राय ने भी तंज कसते हुए कहा था कि कांग्रेस एक साथ कभी 14000 करोड़ रुपए देखी है, जिस पर पलटवार करते हुए मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि कांग्रेस पर बोलने का अधिकार चंपत राय को नहीं है। वहीं बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि चंदे का धंधा करने वाले लोग आज तक अरबों रुपए का हिसाब नहीं दिए हैं।
राम मंदिर के चंदे को लेकर सूबे में शुरू हुए महाभारत के बीच कांग्रेस विधायक अमितेश शुक्ल ने भी एक लाख 11 हजार रुपए का दान दिया है। इधर 31 जनवरी को छत्तीसगढ़ में विश्व हिंदू परिषद और दूसरे संगठनों के कार्यकर्ता सभी वर्गों तक पहुंचकर समर्पण राशि जुटाएंगे। जाहिर है राम मंदिर का मुद्दा जनता की भावनाओं से जुड़ा है, जाहिर है सभी सियासी दल जनभावना में संभावना तलाश रहे हैं। ऐसे में चंदे पर शुरू हुआ ये संग्राम आखिर कहां जाकर थमेगा ये समय ही बताएगा।