मुबई: महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। उद्धव ठाकरे सरकार ने अपने कैबिनेट में कांग्रेस के 10, शिवसेना से 12 और एनसीपी से 14 मंत्रियों को और शामिल किया। मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद गठबंधन सरकार में एक बार फिर मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है। बताया जा रहा है कि अघाड़ी सरकार के कई विधायक सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे को पहली बार विधायक बनने के बाद मंत्री पद दिए जाने से नाराज हैं। जबकि कई वरिष्ठ विधायकों को उम्मीद थी कि उन्हें मत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
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सूत्रों के हवाले मिल रही जानकारी के अनुसार मोदी कैबिनेट को अलविदा कहने वाले संजय राउत अपने भाई सुनील राउत को मंत्री पद नहीं मिलने से दोनों भाई नाराज चल रहे हैं। इसी के चलते दोनों ने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लिया था। वहीं कोल्हापुर जिले से विधायक प्रकाश आबिटकर रविवार रात मंत्रियों की सूची में अपना नाम आने पर घर से रवाना हुए लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं मिला।
शिवसेना के वरिष्ठ विधायक प्रताप सारनिक, सुनील प्रभु, रवींद्र वायकर, रामदास कदम और भास्कर जाधव भी मंत्री पद न मिलने की नाराजगी में शपथग्रहण समारोह से दूर रहे। उधर, शरद पवार के करीबी एनसीपी के बीड़ जिले के माडलगाव से लगातार चार बार विधायक प्रकाश सोलंके का इस्तीफा सामने आया। हालांकि उन्होंने कहा कि इसे मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर नहीं देखें। उन्होंने राजनीति से ही संन्यास लेने के संकेत दिए थे।
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मंत्रिमंडल विस्तार विस्तार के बाद नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोमवार को ही मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इस दौरान नाराज विधायकों ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने को लेकर नाराजगी जाहिर की। इनमें पृथ्वीराज चव्हाण, प्रणीति शिंदे, नसीम खान, संग्राम थोपटे, अमीन पटेल और रोहिदास पाटिल शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार इन नेताओं का आरोप है कि खरगे ने कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को गुमराह किया। नाराज नेता दिल्ली जाकर सोनिया से मिलने की योजना बना रहे हैं।
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