नई दिल्ली। अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण का आदेश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 महीने के भीतर बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का गठन कर विवादित स्थान को मंदिर निर्माण के लिए देने को कहा। कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि केंद्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने को कहा।
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सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया लेकिन केंद्र को आदेश दिया कि मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में उसे उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए। मंदिर निर्माण कैसे होगा, यह बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज तय करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम अपने सबूतों से यह सिद्ध नहीं कर पाए की विवादित भूमि पर उनका ही एकाधिकार था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का जमीन बंटवारे और सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक हिस्सा देने का आदेश गलत था।
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सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता और जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की सदस्यता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने यह फैसला सुनाया। सभी जजों ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले के मध्यस्थों जस्टिस कलीफुल्लाह, श्रीराम पांचू और श्रीश्री रविशंकर की भूमिका की भी तारीफ की। कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थ इस मामले में सुलह के बेहद करीब पहुंचे थे।
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