नई दिल्ली: सैकड़ों वर्षों के लंबे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुना दिया है। इससे पहले कोर्ट ने लगातार 40 दिन तक सभी पक्षों की दलील सुनकर फैसला अपने पक्ष में सुरक्षित रख लिया था। मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 5 जजों ने अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज, निर्मोही अखाड़ा सेवादार भी नहीं है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीता रसोई और चबुतरा की पुष्टि हुई है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिस वक्फ बोर्ड की याचिका खारीज कर दिया है। कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा की याचिका को भी खारीज कर दिया है। निर्मोही अखाड़ा को राम लला की सेवा का अधिकार से कोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने पुरातत्व विभाग के सर्वे को वजन दिया है। राम जन्मभूमि न्यायीक व्यक्ति नहीं है। सुनवाई के दौरान जजों ने कहा के भारत में सभी धर्मों की रक्षा का अधिकार है। सभी दिन्दूओं ने अस्था को लेकर याचिका दायर की थी। निर्माही अखाड़ा ने भी सुप्रीम कोर्ट के सामने राम लला की सेवा के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने यह स्वीकार किया है कि सबसे पहले इस स्थान पर मंदिर था, जिसे तोड़कर ही विवादित ढांचा बनाया गया था। इस जगह पर हिन्दू धर्म के लोग पूजा करते थे।
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