नई दिल्ली: आरक्षण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद एक बार फिर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। मामले में जहां एक ओर सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है तो वहीं कोर्ट की इस टिप्पणी के बीच केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने आरक्षण के मुद्दे पर अपनी बात रखी है।
राम विलास पासवान ने ट्वीट कर लिखा है कि आरक्षण के मुद्दे पर बार-बार विवाद उठता रहता है। आरक्षण, बाबा साहेब आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए पूना पैक्ट की उपज है। इस पर सवाल उठाना, पूना पैक्ट को नकारना है। मंडल कमीशन पर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति/जनजाति के मामले का संबंध अस्पृश्यता से है।
आरक्षण के मुद्दे पर बार बार विवाद उठता रहता है। आरक्षण, बाबा साहेब आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए पूना पैक्ट की उपज है। इसपर सवाल उठाना, पूना पैक्ट को नकारना है। मंडल कमीशन पर फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति/जनजाति के मामले का संबंध अस्पृश्यता से है। 1/3
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) June 12, 2020
अपने अगले ट्वीट में पासवान ने लिखा कि संविधान के मुताबिक, अनुसूचित जाति/जनजाति पहले से ही पिछड़ा है। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत न सिर्फ अनुसूचित जाति/जनजाति बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग और ऊंची जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण दिया गया है।
संविधान के मुताबिक अनुसूचित जाति/जनजाति पहले से ही पिछड़ा है। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत न सिर्फ अनुसूचित जाति/जनजाति बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग और ऊंची जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण दिया गया है। 2/3
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) June 12, 2020
केन्द्रीय मंत्री ने लिखा कि लोक जनशक्ति पार्टी सभी राजनीतिक दलों से मांग करती है कि पहले भी आप सभी इस सामाजिक मुद्दे पर साथ देते रहे हैं, फिर से इकट्ठा हों। बार-बार आरक्षण पर उठने वाले विवाद को खत्म करने के लिए आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूचि में शामिल करने के लिए मिलकर प्रयास करें।
लोक जनशक्ति पार्टी सभी राजनीतिक दलों से मांग करती है कि पहले भी आप सभी इस सामाजिक मुद्दे पर साथ देते रहे हैं, फिर से इकठ्ठा हों।
बार बार आरक्षण पर उठने वाले विवाद को खत्म करने के लिए आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मिलकर प्रयास करें 3/3— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) June 12, 2020
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बता दें कि तमिलनाडु की राजनैतिक पार्टियों अन्नाद्रमुक, द्रमुक, वाइको, अंबुमणि रामदास, मार्क्सवादी पार्टी, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी और कम्युनिस्ट पार्टी ने मेडिकल के वर्तमान शैक्षणिक सत्र के दौरान तमिलनाडु द्वारा छोड़ी गई सीटों में राज्य के आरक्षण कानून के तहत अन्य पिछड़े वर्ग के लिए 50 फीसदी स्थान आरक्षित नहीं करने के केन्द्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम मानते हैं कि आप सभी तमिलनाडु के नागरिकों के मौलिक अधिकारों में रुचि रखते हैं लेकिन आरक्षण का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।
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