भाठापाराः शरीर पर अगर मामूली खुजली हो जाए तो क्या करते हैं लोग? अच्छे से हाथ-पैर धो लेते हैं…साफ-सफाई का खयाल रखते हैं। इतने पर भी ठीक न हुआ, तो डॉक्टर की सलाह लेते हैं, लेकिन अंधविश्वास का अंधेरा जब पूरे परिवार को ही अपनी चपेट में ले रखा हो तो वही होता है, जो भाटापारा से दस किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव रानीजरौद में हुआ। लेकिन हुआ क्या..?
दरअसल अंधविश्वास की भेंट चढ़ गई एक महिला…खुदकुशी कर महिला ने दी खुद की बलि…भाटापारा के पास रानीजरौद गांव की घटना…चार दिन कुर्सी पर बैठी रही एक लाश…चार दिन तक लाश की होती रही पूजा-अर्चना….नारियल भी चढ़े और दीये भी जलाए गए…।
ये तस्वीर धुंधली नहीं है बल्कि हमने इसे ऐसा किया है, क्योंकि इस तस्वीर को देखकर आपकी रूह कांप जाएगी। जी हां, शायद सुनकर यकीन ही न हो, लेकिन आप देख लीजिए। ये कुर्सी में बैठी एक लाश की तस्वीर है। इसी हालत में कुर्सी में बैठी लाश की चार दिनों तक पूजा होती रही। घर में भगवान की मूर्तियों के बीच रखी गई इस लाश के पास चार दिन तक दीये भी जलाए गए और नारियल भी चढ़ाए जाते रहे। ये सनसनीखेज घटना हुई है भाटापारा से दस किलोमीटर दूर गांव रानीजरौद में। जहां एक महिला अंधविश्वास की आग में जल गई।
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ठीक सुना आपने रानीजरौद के अमरदास के परिवार के कुछ सदस्यों को खुजली हो रही थी और उन्हें लगा कि ये जादू-टोना है। लिहाजा उन्होंने झाड़-फूंक और अंधविश्वास का ऐसा तरीका अपनाया कि सुनने और देखने वालों का कलेजा ही कांप गया। अमरदास की पत्नी ने बलि देने के लिए खुद को ही जिंदा आग में झोंक दिया और जब वो जलकर मर गई, तो परिवार वालों ने उसका शव कुर्सी पर बिठा दिया और शुरू हो गया पूजा-पाठ का सिलसिला… मगर चार दिन बाद जब घर से लाश के सड़ने की वजह से बदबू आनी शुरू हुई, तो पुलिस को खबर हुई।
पुलिस ने लाश कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और जांच शुरू कर दी है। अंधविश्वास से अब तक किसी का भला नहीं हुआ। प्ठब्24 अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता। हम अपने पाठकों से अपील करते हैं कि वे ऐसे किसी झाड़-फूंक या अंधविश्वास पर बिलकुल भरोसा न करें।