भोपाल। सनातनी धर्म ग्रंथ रामचरित मानस की चौपाई को तो आपने सुना ही होगा, लेकिन अब इन्हीं चौपाइयों को वैज्ञानिक नजरिए से मध्यप्रदेश भोज मुक्त यूनिवर्सिटी में एक नए कोर्स की किताबों में समेटकर पढ़ाने जा रही है। लेकिन रामचरितमानस की चौपाइयों के साइंटिफिक तर्क देने वाले इस कोर्स पर सियासी विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस इसे राजनैतिक धोखे वाले नजरिए से देख रही है।
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सदियों पुराने जिस रामचरितमानस को अब तक सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ के तौर पर पढ़ा, सुना जाता था उसी रामचरितमानस को मध्यप्रदेश भोज मुक्त यूनिवर्सिटी के नए डिप्लोमा कोर्स की इन किताबों में वैज्ञानिक नजरिए के साथ पेश किया जा रहा है। रामचरितमानस की चौपाइयों में जिक्र किए गए रावण के पुष्पक विमान या रामसेतु का पत्थर या राम रावण युद्ध में चलने वाले तीर हो या फिर आकाशवाणी हो ये तमाम बातों को भोज यूनिवर्सिटी के शुरू हो रहे नए डिप्लोमा कोर्स में इन अलग अलग विषयों की किताबों के जरिए ये बताने की कोशिश कि गई है कि सनातन धर्म की रामचरितमानस विज्ञान आधारित हैं।
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इस कोर्स की सामग्री यूपी के अयोध्या शोध संस्थान की मदद से तैयार की जा रही है। 21-डॉ जयंत सोनवलकर कुलपति, मध्यप्रदेश भोज मुक्त यूनिवर्सिटी (भोज मुक्त यूनिवर्सिटी की कुलपति रामचरितमानस के नए डिप्लोमा कोर्स की किताबों में लिखी एक एक चौपाइ को पढ़कर, समझाकर बता रहे हैं कि रामचरितमानस की चौपाइयों का आज वैज्ञानिक नजरिए क्या है)
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रामचरित मानस मानस के इस डिप्लोमा कोर्स को समझे
रामचरितमानस में विज्ञान से सामाजिक उत्थान” एक साल का डिप्लोमा कोर्स होगा। इस कोर्स में 7 विषय हैं , फिलहाल 4 रामचरितमानस और विषय भौतिक विज्ञान, रामचरितमानस और रसायन विज्ञान, रामचरितमानस और जीवविज्ञान और रामचरितमानस और पर्यावरण विज्ञान हैं।
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अब तक करीब 50 छात्रों का एडमिशन हो चुका है। 12वीं के बाद कभी भी कोर्स कर सकते हैं। नए सत्र के लिए 31 मार्च 2021 तक चलेगी आवेदन की प्रक्रिया।
सरकारी यूनिवर्सिटी के इस कोर्स को कांग्रेस राजनैतिक नजरिए से देख रही है। कांग्रेस का मानना है कि राम, राममंदिर, या रामचरितमानस हर हिंदू के लिए धार्मिक आस्था से जुड़े हैं लेकिन बीजेपी इस तरह के धार्मिक ग्रंथ का कोर्स का दिखावा कर शिक्षा में भी राजनैतिक ढोंग कर रही है, भगवाकरण कर रहे हैं।
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