संकट में उद्धव ठाकरे की सरकार, जानिए किस बात को लेकर हो रही सहयोगी दलों के बीच तकरार | Starts dispute in Maharastra Government's Alliance party

संकट में उद्धव ठाकरे की सरकार, जानिए किस बात को लेकर हो रही सहयोगी दलों के बीच तकरार

संकट में उद्धव ठाकरे की सरकार, जानिए किस बात को लेकर हो रही सहयोगी दलों के बीच तकरार

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:09 PM IST
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Published Date: December 8, 2019 9:40 am IST

बेंगलुरु: महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार बने अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है कि सहयोगी दलों में मतभेद की सुगबुगाहट होने लगी है। दरअसल महाराष्ट्र की महाविकास अघाडी सरकार के सहयोगी दलों में मोदी सरकार की एनआरसी बील को लेकर मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि सीएम उद्धव ठाकरे को काम काज समझने से पहले ही सहयोगी दलों को स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है। हालात को देखते हुए राजनीतिक पंड़ितों ने सरकार को लेकर चिंता जताई है।

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दरअसल मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने बीते दिनों नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 को कैबिनेट बैठक में हरी झंडी दे दी है। इसके बाद अब मोदी सरकार इसे सदन में पेश करने की तैयारी में है। हालांकि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान इस बिल को सदन में पेश किया था, लेकिन आचार संहिता लगने के चलते बिल को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। इस बार ये मोदी सरकार का दूसरा प्रयास है।

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भाजपा से अलग होने के बाद भी शिवसेना ने नागरिक संशोधन बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन करने का ऐलान किया है। वहीे, बीते दिनों शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि एनआरसी बिल पर शिवसेना हमेशा केंद्र सरकार के समर्थन में है। इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमने सरकार किनके सहयोग से बनाई है। संजय राउत का ये बयान कांग्रेस और एनसीपी को हजम नहीं हो रहा है, क्योंकि इन दलों ने एनआरसी का खुलकर विरोध किया था।

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अब खबर आ रही है कि कांग्रस-एनसीपी का सहयोग लेकर शिवसेना से इस मुद्दे को लेकर सीएम उद्ध्व ठाकरे से सफाई मांग सकती है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि उद्धव ठाकरे खुद इस बिल को लेकर केंद्र सरकार का समर्थन करने का ऐलान कर चुके हैं। देखना यह होगा कि उद्धव ठाकरे सीएम की कुर्सी बचाने के लिए अपने कदम पीछे ह​टते हैं या अपने बयान पर कायम रहते हैं। अगर उद्धव ठाकरे अपने बयान पर कायम रहते हैं तो इस बात में दो राय नहीं कि महाराष्ट्र की तीन पहियों वाली सरकार पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।

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