नई दिल्ली: दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं होगा जिसे आज चंद्रयान-2 की लैंडिंग का इंतजार न हो और हो भी क्यों न भारत आज ऐसा किर्तीमान रचने जा रहा है जो दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नासा भी नहीं कर पाई। महज कुछ ही घंटों में भारत का चंद्रयान-2 देर रात चांद के दक्षिणी हिस्से की सतह पर लैंड करेगा। चांद के इस हिस्से तक पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश होगा। चंद्रयान-2 के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने दिन रात मेहनत की है और अब उनकी मेहनत रंग लाने वाली है।
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बताया जा रहा है कि चंद्रयान-2 के लिए लैंडिंग से 15 मिनट पहले का समय बेहद अहम होगा। इसरो के चेयरमैन डॉ के सिवन ने बताया कि विक्रम लैंडर की लैंडिंग 30 किलोमीटर ऊपर से की जाएगी। इसमें कुल 5 मिनट का वक्त लगेगा। विक्रम लैंडर की लैंडिंग के वक्त संभलकर करना होगा। वैसे ही जैसे एक बच्चे को निचे उतारा जाता है। ये काम यान का प्रोपल्शन सिस्टम करता है। इस दौरान चंद्रयान के चारों इंजन को बंद कर बीच के इंजन को स्टार्ट करना होगा।
इसरो के पूर्व निदेशक एम अन्नादुरई ने बताया कि पृथ्वी की सतह और चंद्रमा की सतह पूरी तरह से अलग है। इसलिए हमें एक आर्टिफिशियल चंद्रमा की सतह बनाने और हमारे रोवर और लैंडर का परीक्षण करना था। चंद्रमा की सतह क्रेटर, चट्टानों और धूल से ढकी है और इसकी मिट्टी पृथ्वी की तुलना में अलग बनावट होती है। अन्नादुराई ने बताया कि “लैंडर और रोवर के पहियों का परीक्षण उनकी उड़ान से पहले किया जाना था। चांद की रोशनी में डिनर करना सिर्फ इंसानों के लिए होता है। लेकिन हमें लैंडर और रोवर का परीक्षण करना था जिसके बाद इसरो ने अपने रोवर के परीक्षण के लिए चंद्रमा जैसा प्रकाश का वातावरण तैयार किया गया।
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