भोपाल: प्रदेश में एक ओर जहां उपचुनाव को लेकर सियासी गलियारों में सरगर्मी चरम पर है तो वहीं दूसरी ओर अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का मुद्दा भी गरमाने लगा है। इसी बीच खबर आ रही है कि शिवराज सरकार ने अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण से इनकार कर दिया है। इस बात की जानकारी उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने विधानसभा में लिखित रूप से दिया है।
दरअसल विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर पूछे गए सवाल पर लिखित जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने नियमितीकरण किए जाने से इनकार किया है। सरकार का यह मानाना है कि मार्च 2020 में ऑनलाइन चॉइस फिलिंग प्रक्रिया की शुरू गई थी और इसी के तहत अतिथि विद्वानों की भर्ती की गई थी। वहीं, अतिथि विद्वानों को पद पर बनाए रखने के सवाल पर मंत्री यादव ने कहा है कि पहले से जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर ही कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि कल यानि रविवार को अतिथि विद्वानों से चर्चा के दौरान उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव नाराज हो गए थे। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि क्या मैं आत्महत्या कर लूं। वहीं सीएम शिवराज से मिलवाने पर मंत्री ने कहा कि मैं कैसे मिलवाऊं?
बता दें कि अपनी मांगों को लेकर अतिथि विद्वान मंत्री से चर्चा कर रहे थे, दोबारा नियुक्ति करने की मांग कर रहे थे। इसके पहले अगस्त महीने में उज्जैन दौरे पर रहे मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा था कि हम बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में वापस लेने की तैयारी कर रहे हैं और जल्दी ही आप सभी वापस व्यवस्था में आ जाएंगे।