नई दिल्ली: मोदी सरकार ने सोमवार को एतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला लिया है। हालांकि सदन में इसका पूरजोर विरोध हुआ। वहीं, दूसरी ओर सदन के बाहर भी जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का विरोध शुरू हो गया है। इसी बीच जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद ने मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है।
शेहला रशीद ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार को गवर्नर मान लेने और संविधान सभा की जगह विधानसभा को रखने का फैसला संविधान के साथ धोखा है। सभी प्रगतिशील ताकतें एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगी। हम दिल्ली और बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
<blockquote class=”twitter-tweet” data-lang=”en”><p lang=”en” dir=”ltr”>We will challenge the order passed today in the Supreme Court. The move to replace "Government" by "Governor" and Constituent Assembly by "Legislative Assembly" is a fraud upon the Constitution. Appeal to progressive forces for solidarity. Protests today in Delhi and Bangalore.</p>— Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) <a href=”https://twitter.com/Shehla_Rashid/status/1158307980946726913?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 5, 2019</a></blockquote>
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वहीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा है कि यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है। जम्मू-कश्मीर के नेतृत्व ने 1947 में भारत के साथ जाने का जो फैसला लिया था, वो गलत साबित हो गया। भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला अवैध और असंवैधानिक है।
<blockquote class=”twitter-tweet” data-lang=”en”><p lang=”en” dir=”ltr”>Today marks the darkest day in Indian democracy. Decision of J&K leadership to reject 2 nation theory in 1947 & align with India has backfired. Unilateral decision of GOI to scrap Article 370 is illegal & unconstitutional which will make India an occupational force in J&K.</p>— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) <a href=”https://twitter.com/MehboobaMufti/status/1158257894149615616?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 5, 2019</a></blockquote>
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भारत के कानूनी मामलों में अदालतें भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करती हैं। लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं होता था। वहां भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी का प्रयोग नहीं होता था, लेकिन धारा 370 को हटाए जाने के बाद अब जम्मू कश्मीर में पूरे देश की तरह भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी लागू होगी।
गौरतलब है कि सोमवार को मोदी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता है। प्रस्ताव के अनुसार, जम्मू और कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा। इसमें जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वहीं लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा। केंद्र के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है।
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