धर्म। रंगों का महापर्व होली त्योहार के आठवें दिन शीतला अष्टमी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखना धार्मिक रूप से बेहद महत्व माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार शीतला अष्टमी व्रत हर साल चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को बसौड़ा के नाम भी जाना जाता है।
Read More News: उपासना और कर्म की व्याख्या करती है होली, देखें धार्मिक और प्रासंगिक…
हिंदू पंचाग के अनुसार शीतला अष्टमी व्रत 16 मार्च दिन सोमवार को मनाया जाएगा। शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए कई प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं। अष्टमी के दिन बासी पकवान ही देवी को नैवेद्ध के रूप में समर्पित किए जाते हैं।
Read More News: इन बातों को हमेशा रखें सीक्रेट, नहीं तो परेशानी में पड़ जाएंगे- चाण…
मान्यता है कि आज भी अष्टमी के दिन कई घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है और सभी भक्त ख़ुशी-ख़ुशी प्रसाद के रूप में बासी भोजन का ही आनंद लेते हैं। इन वजहों से भगवती शीतला की पूजा-अर्चना का विधान भी अनोखा होता है।
Read More News: मोक्ष की नगरी में चिता भस्म से खेली गई होली, महाश्मशान पर होता है अ…
पुराणों में माता शीतला अष्टमी का वर्णन विस्तार से किया गया है। जिसमें उन्हें चेचक जैसे रोगों की देवी बताया गया है। उनके स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि माता शीतला अपने हाथों में कलश, सूप, झाडू और नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं। वे गर्दभ की सवारी किए हुए हैं। शीतला माता के संग ज्वरासुर ज्वर का दैत्य, हैजे की देवी, चौंसठ रोग, घेंटुकर्ण त्वचा रोग के देवता एवं रक्तवती देवी विराजमान होती हैं। इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणुनाशक जल है।
Read More News: बेशकीमती खजानों की नाग करते हैं सुरक्षा, महाभारत काल से जुड़ा है रत…
Dev Diwali 2024 : देव दिवाली की रात घर के…
5 hours ago