अयोध्या। अयोध्या के एक संत महंत परमहंस दास ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से अपील की है कि शबनम की फांसी की सजा माफ कर दी जाए। अगर शबनम को फांसी दी गई तो इससे दुर्भाग्य और आपदाएं आएंगी। यदि उसे फांसी दी जाती है तो यह आजादी के बाद किसी महिला को फांसी देने का पहला मामला होगा।
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महंत परमहंस दास ने कहा कि हिंदू शास्त्रों में महिला का स्थान पुरुष से बहुत ऊपर है। एक महिला को मृत्युदंड देने से समाज का भला नहीं होगा, बल्कि इससे दुर्भाग्य और आपदाओं को न्यौता मिलेगा। यह सही है कि उसका अपराध माफ किए जाने योग्य नहीं है लेकिन उसे महिला होने के नाते माफ किया जाना चाहिए।’
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महंत ने आगे कहा, ‘हिंदू धर्म के गुरु होने के नाते मैं राष्ट्रपति से अपील करता हूं कि शबनम की दया याचिका को स्वीकार कर लें। जेल में अपने अपराध के लिए वह प्रायश्चित कर चुकी है। अगर उसे फांसी दी गई तो यह इतिहास का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय होगा। हमारा संविधान राष्ट्रपति को असाधारण शक्तियां देता है, उन्हें इन शक्तियों का प्रयोग क्षमा देने में करना चाहिए।’
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गौरतलब है कि यूपी के अमरोहा जिले के बाबनखेड़ी गांव में 14-15 अप्रैल 2008 की रात को प्रेमी के साथ मिलकर अपने परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी दी जाएगी। शबनम जुलाई 2019 से रामपुर जेल में बंद है।
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