नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ जंग में देश के 30 ग्रुप पूरी शिद्दत के साथ वैक्सीन बनाने के काम जुटे हुए हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने विश्वास दिलाया है कि विज्ञान और तकनीक के प्रयोग से निश्चय ही कोरोना के खिलाफ जीत मिलेगी। बता दें कि गुरुवार को हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी।
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कोरोना वायरस को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जो विश्व की लड़ाई है उसमें अंतिम लड़ाई जो जीती जाएगी वो विज्ञान और तकनीक के माध्यम से जीती जाएगी। ये लड़ाई वैक्सीन से जीती जाएगी।
There are about a total of 30 groups in India, big industry to individual academics, who are trying got develop vaccines, of around 20 are keeping a good pace: Principal Scientific Advisor (PSA) to the Government of India Prof K. Vijay Raghavan pic.twitter.com/gWQOS4kCPY
— ANI (@ANI) May 28, 2020
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) प्रोफेसर के. विजय राघवन ने कहा कि वैक्सीन हम नॉर्मल लोगों को देते हैं न कि बीमार और किसी भी अंतिम स्टेज के मरीज को इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की क्वालिटी और सेफ्टी को पूरी तरह से टेस्ट किया जाए।
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साधारणतः वैक्सीन 10-15 साल में बनता है और इसकी लागत 200 मिलियन डॉलर के करीब होती है। अब हमारी कोशिश है कि इसे एक साल में बनाया जाए इसलिए एक वैक्सीन पर काम करने की जगह हम लोग एक ही समय में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं।
प्रोफेसर ने आगे कहा कि किन-किन तरह के वैक्सीन बन सकते हैं 1. mRNA वैक्सीन वायरस के जेनेटिक मेटिरियल को ही लेकर जब आप इन्जेक्ट कर लेते हैं। 2. स्टैंडर्ड वैक्सीन जो वायरस के कमजोर वर्ज़न को लेकर बनाया जाता है पर उससे बीमारी नहीं फैलती।
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The fight against Coronavirus will be won through vaccine and drugs. Our country’s science and technology institutions and pharma industry are very strong: VK Paul, Member- Health, Niti Aayog pic.twitter.com/ION2OjWw3X
— ANI (@ANI) May 28, 2020
3. किसी और वायरस की बैकबोन में कोरोना के वायरस की प्रोटीन कोडिंग को लगाकर के वैक्सीन बनाया जाता है। 4.वायरस का प्रोटीन लैब में बनाकर उसको एक किसी दूसरे स्टीमुलस के साथ लगाया जाता है। ये चार तरह के वैक्सीन सब लोग बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं बताया कि 30 ग्रुप हैं जो कोरोना की वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बहुत रिस्की प्रॉसेस है। दुनिया में बहुत सारे लोग वैक्सीन की बात कर रहे हैं, लेकिन यह पता नहीं है कि किसकी वैक्सीन प्रभावी होगी। अगर वैक्सीन वेस्ट हो जाती है तो नुकसान भी होता है।
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