खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले को आध्यात्मिक स्थल भी माना गया है। यहां नर्मदा किनारे सैंकड़ों ऋषि मुनियों के आश्रम है। एक ऐसा ही आश्रम था संत सिंगाजी महाराज का। लगभग चार सौ साल पहले संत सिंगाजी यहां के आध्यात्मिक गुरू हुआ करते थे। संत सिंगाजी ने चार सौ साल पहले समाधि ली थी लेकिन वर्ष 2004 में जब बांध बना तो उनकी समाधि डूबने लगी। समाधि हजारों लोगों की आस्था का प्रतीक थी । इसलिए सरकार ने सिंगाजी की समाधि को एक विशाल परकोटा बनाकर बचा लिया गया । अब समाधि के चारों ओर परकोटा है और यह सिंगाजी टापू के नाम से प्रसिद्ध हो गया ।
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अच्छी बात ये हा कि हनुवंतिया टापू और संत सिंगाजी समाधि स्थल का विकास कई लोगों को रोजगार के संसाधन उपलब्ध करवा रहा है। .हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि अभी भी विकास होना बाकी है।
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यहां प्राकृतिक रुप से स्थित टापूओं के संसार को और भी अनुपम बनाने के लिए पर्यटन स्थलों की प्रतिकृति को भी एक ही स्थान पर समाहित किया गया है, देश भर से आने वाले सैलानी इनकी ओर आकर्षित हो सके। डैम की खूबसूरती को निहारते सैलानियों के लिए ये लम्हे यादगार बन जाते हैं । ज़ाहिर है अपने हॉलीडे टूर को यादगार बनाने के लिए सैलानियों के लिए ये जगह बेहतर टूरिस्ट स्पॉट साबित होता है । पर्यटन ने इलाके के विकास के द्वार खोल दिए हैं।
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इंदिरा सागर डैम से सिंचाई और बिजली की सुविधा मिल रही है, पर्यटन का विकास कर यहां रोजगार के अवसर पैदा करने की कोशिश की जा रही है…जिसको लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह देखा जा रहा है ।