मास्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया कि उनके वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ पहली वैक्सीन बना ली है। व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया कि ये दुनिया की पहली सफल कोरोना वैक्सीन है, जिसका पंजीकरण कराया गया है। इस बीच आज कोरोना की वैक्सीन पर केंद्र सरकार की कमेटी की अहम बैठक आयोजित की गई है। वैक्सीन से जुड़े मुद्दों पर राज्यों के साथ भी चर्चा की जाएगी।
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रूस के वैक्सीन बनाने के बाद भारत में भी वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने गुलेरिया ने कहा कि एम्स अब ऐसे मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगा जो कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं, उनका ध्यान रखने के लिए पोस्ट-कोविड रिकवरी क्लिनिक शुरू की जाएगी, ताकि उनके फेफड़ों की क्षमता में सुधार पर ध्यान दिया जा सके, चाहे वह व्यायाम, योग, आहार या यहां तक कि दवाइयां ही क्यों ना हों। जिन मरीजों में रिकवरी के बाद फेफड़ों की समस्या मिल रही है, उन पर भी ध्यान दिया जाएगा, कुछ मरीज पोस्ट-कोविड के कई सीक्वल देख रहे हैं। रिकवरी के बाद भी कुछ रोगियों को बड़ी असुविधा हो रही है, सांस लेने में भी तकलीफ देखने को मिल रही है।
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गुलेरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि पोस्ट-कोविड रिकवरी क्लिनिक के लिए इजरायल भारत की मदद करेगा। रोबोट उपकरण रोगियों की निगरानी करने में मदद करेंगे। गुलेरिया ने कहा कि ये उपकरण दूरदराज के क्षेत्रों में भी फेफड़े, हृदय और सांस लेने की समस्याओं वाले लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है और उनके जीवन को बचाया जा सकता है। इनका कस्बों और अन्य क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में शहरों के बड़े अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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भारत में कोरोना की स्थिति पर बात करते हुए गुलेरिया ने कहा कि कोरोना की स्थिति भारत के कुछ राज्यों में अभी जैसी स्थिति है आने वाले समय में और गड़बड़ हो गई है। देश में अगले कुछ सप्ताह में पीक की स्थिति हो सकती है। भारत में वैक्सीन के विकास पर उन्होंने बताया कि भारतीय टीके दो-तीन परीक्षण चरणों तक पहुंच चुके हैं। हमारे पास बड़े पैमाने पर वैक्सीन उत्पादन क्षमता है, भारत वैक्सीन पर शुरू से ही काम कर रहा है।
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