नई दिल्ली: बिहार स्थित मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री द्वारा निर्मित 12000 एचपी के पहले ‘मेड इन इंडिया’ इंजन को कल भारतीय रेलवे द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन स्टेशन से सफलतापूर्वक चलाया गया। इंजन का नाम डब्ल्यूएजी12 नंबर 60027 है। ट्रेन पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद डिवीजन से लंबी दौड़ के लिए अपराह्न 14:08 बजे दीनदयाल उपध्याय स्टेशन से रवाना हुई, जिसमें 118 वैगन जुड़े हुए थे और जो पं. दीनदयाल उपध्याय जंक्शन से डेहरी-ओन-सोन, गढ़वा रोड होते हुए बरवाडीह तक गई।
यह भारतीय रेलवे के लिए गर्व का पल था, क्योंकि भारत दुनिया का छठा ऐसा देश है जो स्वदेश में ही ज्यादा हॉर्स पावर का इंजन बनाने वाले देशों के प्रतिष्ठित क्लब में शामिल हो गया है। यही नहीं, पूरी दुनिया में पहली बार बड़ी लाइन की पटरी पर उच्च हॉर्स पावर के इंजन का संचालन किया गया है। यह इंजन ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत निर्मित किया गया है। मधेपुरा फैक्ट्री गुणवत्ता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों के साथ तैयार की गई सबसे बड़ी एकीकृत नई (ग्रीनफील्ड) यूनिट है। प्रति वर्ष 120 इंजनों (लोकोमोटिव) की उत्पादन क्षमता वाला यह कारखाना 250 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
ये इंजन अत्याधुनिक आईजीबीटी आधारित, 3-फेज ड्राइव और 9000 किलोवाट (12000 हॉर्स पावर) के इलेक्ट्रिक इंजन हैं। यह इंजन 706 केएन के अधिकतम संकर्षण के लिए सक्षम है, जो 150 में 1 की ढाल में 6000 टी ट्रेन का संचालन शुरू करने और चलाने में सक्षम है। 22.5 टी (टन) के एक्सल लोड के ट्विन बो-बो डिजाइन वाले इंजन (लोकोमोटिव) को 120 किमी प्रति घंटे की गति के साथ 25 टन तक उन्नत (अपग्रेड) किया जा सकता है। यह इंजन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए कोयला रेलगाड़ियों की आगे की आवाजाही के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। इसमें लगे हुए सॉफ्टवेयर और एंटीना के माध्यम से इसके रणनीतिक उपयोग के लिए इंजन पर जीपीएस के जरिए करीबी नजर रखी जा सकती है। माइक्रोवेव लिंक के माध्यम से जमीन पर सर्वर के जरिए एंटीना उठाया जाता है।
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मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (एमईएलपीएल) 11 वर्षों में 800 अत्याधुनिक 12000 एचपी के इलेक्ट्रिक फ्रेट लोकोमोटिव का निर्माण करेगी। यह परियोजना देश में 10,000 से भी अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन करेगी। कंपनी द्वारा परियोजना में पहले ही 2000 करोड़ रुपये से भी अधिक का निवेश किया जा चुका है।
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