12 हजार साल पुराना है ऋग्वेद, जानिए हिंदू धर्म क्या है ? | Rigveda is 12 thousand years old, know what Hinduism is?

12 हजार साल पुराना है ऋग्वेद, जानिए हिंदू धर्म क्या है ?

12 हजार साल पुराना है ऋग्वेद, जानिए हिंदू धर्म क्या है ?

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Modified Date: November 29, 2022 / 11:21 AM IST
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Published Date: February 29, 2020 5:53 am IST

रायपुर। वैदिक या सनातन धर्म को हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है। वेद पर आधारित यह दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। ऋग्वेद संसार की प्रथम पुस्तक है। यह धर्म ज्ञात रूप से लगभग 12000 वर्ष पुराना है जबकि कुछ अन्य तथ्यों के अनुसार यह लगभग 90 हजार वर्ष प्राचीन है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह लाखों वर्ष से चला आ रहा है जिसका हर काल में स्वरूप बदलता रहा है, लेकिन वेद ज्ञान कायम रहा है।

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धर्म के संस्थापक : कहते हैं कि इस धर्म का कोई संस्थापक नहीं है, लेकिन हर काल में कई ऋषियों या भगवानों ने इस धर्म की स्थापना की है। प्रारंभ में अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ने ज्ञान प्राप्त कर वेदों की ऋचाओं को रचा था। बाद में अन्य ऋषियों की ऋचाओं को भी वेदों में सम्मलित किया गया। श्रीकृष्ण तक इस धर्म के पूर्व में कई संस्थापक हुए हैं। आदि बौद्ध काल में शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने धर्म की पुन: स्थापना की थी।

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धर्म ग्रंथ : हिन्दू धर्म के धर्मग्रंथ को श्रुति और स्मृति के अंतर्गत रखा जाता है। श्रुति अर्थात वेद। वेदों के प्रभुख चार विभाग हैं- ऋग, यजु, साम और अथर्व। वेदों का ही हिस्सा उपनिषद हैं। वर्तमान में ऋग्वेद के 10, कृष्ण यजुर्वेद के 32, सामवेद के 16, अथर्ववेद के 31 उपनिषद उपलब्ध माने गए हैं। वेदों को आधार बनाकर ही स्मृति ग्रंथों की रचना हुए। जैसे 18 पुराण, प्रमुख 18 स्मृतियां, वेदों से निकले कई सूत्र ग्रंथ, महाभारत, रामायण आदि ग्रंथ हैं। गीता महाभारत का ही एक हिस्सा है। गीता को वेदों और उपनिषदों का सार माना गया है। इसलिए वेद, उपनिषद के बाद उसे भी धर्मग्रंथ की श्रेणी में रखा गया है। मतलब यह कि मात्र वेद, उपनिषद और गीता ही धर्म ग्रंथ हैं।

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ईश्‍वर सिद्धांत : हिन्दू धर्म के अनुसार ईश्वर एक ही है दूसरा कोई ईश्वर नहीं है जिसे ब्रह्म, परब्रह्म, परमेश्वर, परमात्मा आदि कहा गया है। ईश्वर को सगुण और निर्गुण, साकार या निराकार रूप में भिन्न-भिन्न तरीके से व्यक्त किया गया है। ईश्वर के अलावा कई देवी-देवताओं को पूजने का प्रचलन है। इसके अलावा भगवान (राम, कृष्ण आदि) को पूज्जनीय माना गया है। पितृ और सिद्ध संत को भी महान माना गया है। हिंदुओं के ‍तीन प्रमुख देवता हैं, ब्रह्मा, विष्णु और शिव और तीन प्रमुख देवी सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती है। दुर्गा, काली, भैरव, गणपति, कार्तिकेय और आदित्य की पूजा का प्रचलन भी कालांतर से हैं। हिन्दू धर्म अनुसार ईश्‍वर तक पहुंचने के कई रास्ते हैं उनमें से एक मूर्तिपूजा भी है, लेकिन अधिकतर ज्ञानी निराकार ईश्वर के ही गुणगान करते हैं।

सृष्टि सिंद्धांत : हिन्दू धर्म में सृष्टि के दो सिद्धांत प्रचलित हैं। पहला वैदिक और दूसरा पौराणिक। वैदिक में यह सृष्ट पंचकोषों और आठ तत्वों वाली हैं। पंचकोष- 1.अन्नमय, 2.प्राणमय, 3.मनोमय, 4.विज्ञानमन और 5.आनंदमय। उक्त कोष में ही आठ अत्व है जैसे अनंत-महत्-अंधकार-आकाश-वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी। प्रकृति से महत्, महत् से अहंकार, अहंकार से मन और इंद्रियां तथा पांच तन्मात्रा और पंच महाभूतों का जन्म हुआ। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह प्रकृति के आठ तत्व हैं। इन्हीं के आधार पर पुराणों में सप्तलोक का उल्लेख मिलता है।

ये सप्तलोक है- भूमि, आकाश और स्वर्ग, इन्हें मृत्युलोक या त्रैलोक्य कहा गया है, जहां उत्पत्ति, पालन और प्रलय चलता रहता है। इसे कृतलोक कहा गया है। उक्त तीनों लोकों के ऊपर महर्लोक है जो उक्त तीनों लोकों की स्थिति से प्रभावित होता है, किंतु वहां उत्पत्ति, पालन और प्रलय जैसा कुछ नहीं, क्योंकि वहां ग्रह या नक्षत्र जैसा कुछ भी नहीं है। उसके भी ऊपर जन, तप और सत्य लोक तीनों अकृतक लोक कहलाते हैं। अर्थात जिनका उत्पत्ति, पालन और प्रलय से कोई संबंध नहीं, न ही वो अंधकार और प्रकाश से बद्ध है, वरन वह अनंत असीमित और अपरिमेय आनंदपूर्ण है। श्रेष्ठ आत्माएं पुन: सत्यलोक में चली जाती हैं, बाकी सभी त्रैलोक्य में जन्म और मृत्य के चक्र में चलती रहती हैं। जैसे समुद्र का जल बादल बन जाता है, फिर बादल बरसकर पुन: समुद्र हो जाता है। जैसे बर्फ जमकर फिर पिघल जाती है।

संप्रदाय : धर्म के मूलत: 10 सम्प्रदाय है- 1.शैव, 2.वैष्णव या भागवत, 3.शाक्त, 4.गणपत्य, 5.कौमारम, 6.स्मार्त, 7.नाथ, 8.वैदिक, 9.तांत्रिक और 10.संत मत।

व्रत और त्योहार : रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, शिवरात्रि, नवरात्रि, संक्रांति, पोंगल, ओणम, बिहू, दीपावली और होली इस धर्म के प्रमुख त्योहार हैं। चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी, अमावस्या, पूर्णिमा, नवरात्रि, श्रावण सोमवार आदि सभी व्रत हैं। मुख्य रूप से चतुर्मास में व्रतों का पालन किया जाता है।

व्रत और त्योहार : रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, शिवरात्रि, नवरात्रि, संक्रांति, पोंगल, ओणम, बिहू, दीपावली और होली इस धर्म के प्रमुख त्योहार हैं। चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी, अमावस्या, पूर्णिमा, नवरात्रि, श्रावण सोमवार आदि सभी व्रत हैं। मुख्य रूप से चतुर्मास में व्रतों का पालन किया जाता है।

हिन्दू तीर्थ : चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी), द्वादश ज्योतिर्लिंग (सोमनाथ, द्वारका, महाकालेश्वर, श्रीशैल, भीमाशंकर, ॐकारेश्वर, केदारनाथ विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वरम, घृष्णेश्वर, बैद्यनाथ), 51 शक्तिपीठ, सप्तपुरी (काशी, मथुरा, अयोध्या, द्वारका, माया, कांची और अवंति (उज्जैन), कैलाश मानसरोवर, अमानाथ गुफा, वैष्णोदेवी, तिरुपति बालाजी, अयप्पा सबरीमाला, तिरुपति बालाजी

धर्म की नदियां : 1.सिंधु, 2.सरस्वती, 3.गंगा, 4.यमुना, 5.नर्मदा, 6.कृष्णा, 7.कावेरी, 8.गोदावरी, 9.महानदी, 10.ब्रह्मपुत्र, 11.क्षिप्रा, 12.वितस्ता (झेलम), 13.कुंभा (काबुल नदी), 14.क्रुगु (कुर्रम), 15.गोमती (गोमल), 16.परुष्णी (रावी) 17.शुतुद्री (सतलुज), 18. सरयू, 19. ताप्ती, 20.

धर्म के पहाड़ : 1.कैलाश पर्वत, 2.नंदादेवी पर्वत, 3. माउंट आबू, 4. गोवर्धन पर्वत, 5. गिरनार पर्वत, 6. गब्बर पर्वत, 7. चामुंडा पहाड़ी, 8.त्रिकूट पर्वत, 9.तिरुमाला पर्वत, 10.मनसादेवी पहाड़ी मंदिर, 11.पावागढ़ की पहाड़ी, 12.गंधमादन, 13.द्रोणगिरी आदि। इसके अलावा पर्वतमालाओं में हिमालय, अरावली, विंध्य, सह्याद्री, मलयगिरि, नीलगिरि, महेंद्राचल, शुक्तिमान, ऋक्ष, चित्रकूट आदि।