भिंड। कलेक्टर छोटे सिंह एक बार फिर सुर्खियों में। इसबार उन पर नियम विरूद्ध काम करते हुए राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को तहसीलदार बनाने का आरोप लगा है। जबकि शासन ने गलत तरीके से पदोन्नत अधिकारी-कर्मचारी को पद से हटाने का आदेश दिया था। लेकिन एक बार फिर कलेक्टर के इस आदेश से हड़कंप मचा है। कलेक्टर का ये आदेश अब सोशल मीडिया में भी वायरल हो रहा है।
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आपको बता दें दो साल पहले ग्वालियर में भी इस तरहा का मामला सामने आया था। यहां दो साल से नायब तहसीलदार के रूप में काम कर रहे पांच राजस्व निरीक्षकों (आरआई) को कलेक्टर ने फिर से राजस्व निरीक्षक बना दिया था। मजेदार बात यह है कि इनसे काम तो वापस ले लिया गया पर इन्हें राजस्व निरीक्षक के रूप में काम नहीं दिया गया।
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दूसरी तरफ कलेक्टर ने जो आदेश जारी किया उसमें एक निलंबित तहसीलदार को भी डबरा का काम सौंप दिया गया था। चार दिन की छुट्टी लेकर आंदोलन पर गए तहसीलदारों की एक मांग यह भी थी कि उनके अधिकार किसी अन्य को न दिए जाएं। उन्हें राजस्व विभाग की 12 मई 2016 को जारी अधिसूचना पर आपत्ति थी। इसी आधार पर 16 मई 2016 को सभी राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार की शक्तियां प्रदान की गईं। 25 जून को कलेक्टर अशोक कुमार वर्मा ने 16 मई का उक्त आदेश निरस्त कर दिया था।
बीजेपी की ‘बल्लेबाजी’ के बाद कांग्रेस की ‘कीचड़बाजी’
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