सियासी रण में आरक्षण का दांव! इस मुद्दे को अभी उठाने के क्या हैं मायने?  | Reservation bets in the political battle! What is the point of raising this issue now?

सियासी रण में आरक्षण का दांव! इस मुद्दे को अभी उठाने के क्या हैं मायने? 

सियासी रण में आरक्षण का दांव! इस मुद्दे को अभी उठाने के क्या हैं मायने? 

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : July 6, 2021/5:56 pm IST

रायपुर: चुनावी पॉलिटिक्स में आरक्षण हमेशा से एक बड़ा सियासी मुद्दा रहा है। छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के नाम पर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने प्रदेश में ओबीसी वर्ग के लोगों की सही संख्या का पता लगाने के लिए एक सर्वे की तैयारी कर ली है, जिसे लेकर बीजेपी खेमे में हड़कंप है। विपक्ष इसे भी सरकार का एक झुनझुना बता रही है। आखिर सरकार के इस कदम से भाजपा खेमे में इतनी बौखलाहट क्यों है? इस मुद्दे को अभी उठाने के क्या मायने हैं? 

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छत्तीसगढ़ में ओबीसी की वास्तविक संख्या कितनी है इसका पक्का जवाब किसी के पास नहीं है। हालांकि राज्य सरकार ने अब वास्तविक संख्या का पता लगाने सर्वे भी शुरू कर दिया है। बताया गया है कि ओबीसी वर्ग के नाम पर 32 लाख से अधिक राशन कार्ड बने हैं। दावा ये भी है कि राज्य में करीब 45 फीसदी आबादी ओबीसी की है। जाहिर है राज्य की सत्ता की चाबी इतनी बड़ी आबादी के हाथों में ही होगी। सत्ता में बैठी कांग्रेस अब इस आबादी को अपने पक्ष में करने के लिए कवायद शुरू कर रही है। सरकार ने वर्गों की सही संख्या जानने के लिए एक कमेटी बना दी है जो जल्द इसपर सर्वे करेगी। इस कदस से बीजेपी की सासें अटकने लगी हैं, बीजेपी सरकार के इस सर्वे को लॉलीपॉप बताकर अपनी खीझ मिटा रही है। 

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इधर, कांग्रेस की दलील है कि वो हाईकोर्ट के निर्देश पर ही सर्वे करवा रही है, जिसमें बीजेपी को दिक्कत नहीं होना चाहिए। दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 को राज्य में जातिगत आरक्षण में बदलाव की घोषणा की, जिससे प्रदेश में आरक्षण का दायरा बढ़कर 82 फीसद तक पहुंच गया। जो कि कुल 50 फीसद आरक्षण के तय मापदंड से कहीं अधिक है। सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण में वृद्धि पर रोक लगाते हुए राज्य में ओबीसी और आर्थिक तौर पर कमजोरों की सही संख्या जानने के लिए कहा।

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जानकारी के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल करीब 68 लाख 15 हजार से ज्यादा राशनकार्ड हैं, जिसके तहत दो करोड़ 52 लाख से ज्यादा लोगों के नाम  शामिल हैं। इनमें 32 लाख ओबीसी वर्ग के राशनकार्ड हैं जो कि कुल संख्या का लगभग 47 फीसद है। अब OBC आरक्षण का बढ़ा प्रतिशत लागू हो पाएगा या नहीं ये तो भविष्य बताएगा, पर जो दल इसे लागू करेगा। अगली बार सत्ता उसी के हाथ जाएगी इसके तगड़े आसार हैं। ऐसे में भूपेश सरकार की इस कवायद से बीजेपी नेताओं की चिंता बढ़ना लाजमी है।

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