ग्वालियर: भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को लहराता देख हम सबका सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आधे देश में फहराया जाने वाले तिरंगा ग्वालियर में बनाया जाता है। इतना ही नहीं कई ऐतिहासिक इमारतों और मंत्रालयों में ग्वालियर में बना ध्वज ही लहरा रहा है।
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दरअसल भारत की शान हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के रूप ग्वालियर की पहचान आज पूरे देश में बढ़ती जा रही है। पहले देश भर में मुंबई और कर्नाटक के हुबली से तिरंगा पहुंचते थे, लेकिन अब ग्वालियर का मध्य भारत खादी संघ दोनों शहरों को टक्कर देने लगा है। समूचे उत्तर भारत में अब ग्वालियर के तिरंगे झंडे सप्लाई होने लगे हैं। इसके लिए खादी संघ ने नई मशीनें लगाई हैं और लेबोरेटरी में टेस्ट करके झंडे मानकों के आधार पर सप्लाई किए जाते हैं।
यहां तिरंगे की शुरूआत धागा बनाने से होती है। इसके बाद बुनाई और फिर तीन तरह के लैबोरेट्री टेस्ट किए जाते हैं। टेस्टिंग के बाद इसकी फिनिशिंग और कलरिंग की जाती है। तीन रंगों का अलग-अलग डाइंग भी किया जाता है। इसके बाद फिर टेस्टिंग होती है और उसके बाद अशोक चक्र लगाया जाता है। ग्वालियर का मध्य भारत खाद्य संघ एकमात्र ऐसा केंद्र है। जहां धागे से लेकर तिरंगे झंडे का निर्माण किया जाता है और देश के अधिकतर भागों में तिरंगा यहीं से सप्लाई होता है।
हालाकि तिरंगा बनाने की अनुमति हर किसी को नहीं मिलती। क्यों किसके लिए शासन की जटिल प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। ग्वालियर में 3x 2 , 3×4.5 और 4×6 फीट के तिरंगे तैयार किए जाते है।