DRG जवानों से डरा 'लाल आतंक'? क्या नक्सली किसी सोची समझी रणनीति के तहत कर रहे हैं ऐसा | 'Red terror' scared of DRG jawans? Is Naxalites doing this under a thoughtful strategy

DRG जवानों से डरा ‘लाल आतंक’? क्या नक्सली किसी सोची समझी रणनीति के तहत कर रहे हैं ऐसा

DRG जवानों से डरा 'लाल आतंक'? क्या नक्सली किसी सोची समझी रणनीति के तहत कर रहे हैं ऐसा

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:17 PM IST
,
Published Date: March 25, 2021 6:06 pm IST

रायपुर: पिछले दिनों जब नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर सरकार से वार्ता की अपील की, तो लगा कि दशकों से हिंसा की आग पर जल रहा बस्तर अब शांति की राह पर आगे बढ़ेगा। लेकिन महज एक हफ्ते के भीत उम्मीदों पर ग्रहण लग गया। नारायणपुर में लाल आतंक की कायराना करतूत सामने आई। नक्सलियों ने IED ब्लास्ट कर जवानों को निशाना बनाया, जिसमें डीआरजी के 5 जवान शहीद हो गए। ये पहला मौका नहीं था जब लाल गैंग ने डीआरजी के जवानों को निशाना बनाया हो।

Read More: कोरोना को लेकर छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी की गाइडलाइन, 1 अप्रैल से होगा लागू

दरअसल बस्तर में एंटी नक्सल ऑपरेशन से बौखलाए नक्सली अब नई रणनीति के तहत दूसरे फोर्स की तुलना में डीआरजी जवानों को ज्यादा टारगेट कर रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है क्या नक्सली किसी सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं? या डीआरजी जांबांजों से लाल गैंग डर गया है?

Read More: छत्तीसगढ़ में कोरोना ब्लास्ट, पिछले 24 घंटे में 2419 नए मरीजों की पुष्टि, 15 संक्रमितों की मौत

एक साल के भीतर दो बड़े नक्सली हमले, पहले सुकमा और फिर नारायणपुर, जगह अलग-अलग लेकिन लाल गैंग के टारगेट रहे डीआरजी जवान। जी हां पिछले कुछ समय से नक्सली बार-बार डीआरजी जवानों को अपना टारगेट कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह है नक्सलियों के खिलाफ एंटी ऑपरेशन में इनकी भूमिका। दरअसल हाल के दिनों में बस्तर में जिस तरह से सुरक्षा बलों के जवानों ने विषम परिस्थियों में लाल लड़ाकों को उनके घर में मात दिया है, उससे बौखलाए नक्सली अब डीआरजी जवानों पर हमला कर रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या लाल गैंग डीआरजी जवानों से डर गया है? क्या बस्तर में डीआरजी जवान नक्सलियों पर भारी पड़ रहे हैं? क्या छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स और दूसरे फोर्स मुकाबले ज्यादा आक्रामक साबित हो रहे डीआरजी के जवानों का मनोबल तोड़ना चाहते हैं नक्सली? सवाल ये भी कि नक्सल मोर्चे पर DRG जवानों को इतनी सफलता कैसे मिल रही है?

Read More: होली में डीजे-नगाड़ा बजाने पर लगा प्रतिबंध, धमतरी जिले में लागू हुआ धारा 144

इसका जवाब है इनका बैकग्राउंड, जी हां 2008 में बनी डीआरजी यानी डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड, जिसमें शामिल अधिकतर जवान सरेंडर करने वाले नक्सली हैं। पहले जहां नक्सली आसानी से मामूली भेष बदलकर शहरों में घूमा करते थे, अब ये विकल्प डीआरजी के जवानों ने करीब-करीब खत्म कर दिया है। लेकिन इनकी सबसे बड़ी खासियत इनकी ऑपरेशनल क्षमता है। ये इलाके के बेहतर जानकार हैं और नक्सलियों के मुकाबले कहीं भी कम नहीं। स्थानीय बोली इनके लिए और मददगार साबित होती है। ये विषम परिस्थितियों में भी काम करने की क्षमता रखते हैं। पुलिस अब महिला डीआरजी के जवानों की भर्ती भी शुरू कर दी है। ऐसे में नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम ने कई डीआरजी के जवानों की हत्या तो की ही है। इसके अलावा उनके माता पिता और परिवार के लोगों को भी डरा धमकाकर उनकी हत्या कर रहे हैं।

Read More: दमोह उपचुनाव: कांग्रेस छोड़कर आए राहुल लोधी पर भाजपा ने खेला दांव, कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन से होगा मुकाबला

बस्तर में फिलहाल ढाई हजार से ज्यादा डीआरजी के जवान तैनात हैं। इनके आने के बाद जवानों और नक्सलियों के बीच एनकाउंटर दोगुनी हो गई है, लेकिन आमतौर पर अलर्ट रहने वाले जवानों से नारायणपुर में बड़ी गलती हुई है। बस से कच्ची सड़क पर चले, दूसरी गलती बम निरोधक दस्ते ने कच्चे सड़क में बने पुलिया के नजदीक ठीक से जांच नहीं की। सुरक्षा मानकों में हुई चूक की वजह से नक्सली वारदात को अंजाम देने में सफल रहे। हालांकि अधिकारियों के मुताबिक नक्सलियों ने आईडी रोड़ निर्माण के वक़्त ही लगा दिया था। लेकिन कार्बन कोटेड कवर की वजह से इस आईडी को पहचाना नहीं जा सका। इधर मामले में सियासी बयानबाजी भी तेज है। बहरहाल जिस तरह से नक्सलियों ने पिछले 2 महीनों में अपनी सक्रियता बढ़ाई है, उससे इस बात का अंदेशा और बढ़ गया है कि हमेशा की तरह इन गर्मियों में नक्सली बड़ा हमला कर सकते हैं।

Read More: महिला के फेफड़े में फंसा कंडोम डॉक्टरों ने सर्जरी कर निकाला, पति ने किया चौकाने वाला खुलासा

 

 
Flowers