रायपुर। इस वर्ष राज्य गठन के बाद सर्वाधिक धान खरीदी हुई है। अब तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 2 हजार 47 उपार्जन केन्द्रों में 82 लाख 80 हजार मेट्रिक टन धान खरीदी की गई है। जो राज्य गठन से अब तक की सर्वाधिक खरीदी है। कुल उपार्जित धान के लिए कुल भुगतान योग्य राशि 14751 करोड़ रूपए है। जिसमें से किसानों को 14 हजार 400 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है।
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खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की अवधि एक दिसम्बर 2019 से 15 फरवरी 2020 तक तय की गई थी। जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार बाद में बढ़ाकर 20 फरवरी 2020 तक धान की खरीदी की गई। धान खरीदी के लिए कुल 19 लाख 55 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। धान खरीदी की समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 1967, 112 एवं 18002333663 नम्बरों पर किसान हेल्प लाईन स्थापित की गई। इन नंबरों पर दर्ज 1354 शिकायतों का निराकरण कर लिया गया है।
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अधिकारियों ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 की तुलना में पंजीकृत किसानों की संख्या में 15.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि पंजीकृत किसानों के रकबे में 4.98 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इस वर्ष धान बेचने वाले किसानों की संख्या में 15.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। धान खरीदी के लिए कृषक वर्गवार तुलनात्मक दृद्धि से देखे तो खरीफ विपणन वर्ष 2018 की तुलना में सीमांत एवं लघु कृषकों के पंजीकृत संख्या में वृद्धि क्रमशः 25.29 प्रतिशत एवं 9.3 प्रतिशत रही है तथा लघु एवं सीमांत कृषकों के रकबे में वृद्धि का प्रतिशत क्रमशः 19.9 एवं 8.4 प्रतिशत रहा, जबकि धान बेचने वाले लघु एवं सीमांत कृषकों की संख्या में 25.80 प्रतिशत एवं 10.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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इसी प्रकार विगत खरीफ विपणन वर्ष की तुलना में धान बेचने वाले लघु एवं सीमांत किसानों के धान के रकबे में क्रमशः 21.12 एवं 9.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। धान बेचने वाले लघु एवं सीमांत किसानों द्वारा बेचे गए धान की मात्रा में विगत खरीफ विपणन वर्ष की तुलना में 20.27 एवं 6.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस प्रकार राज्य शासन द्वारा धान खरीदी में सभी वर्गों की किसानों का पूरा ध्यान रखा गया है।
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राज्य मे वास्तविक किसानों से धान खरीदी किए जाने के लिए हर संभव प्रयास किए गए। राज्य में अवैध धान की आवक को रोकने के लिए धान खरीदी की अवधि में 4502 प्रकरण दर्ज किए गए। जिसमें लगभग 100.04 करोड़ रूपए मूल्य का 54,819 टन धान मण्डी अधिनियम के अंतर्गत जब्त किया गया। अवैध धान के परिवहन में लिप्त 491 वाहनों पर कार्यवाही की गई। अवैध धान की आवक रोकने के लिए राजस्व, पुलिस, वन एवं मण्डी विभाग की संयुक्त रूप से महत्पवपूर्ण भूमिका रही है।