नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद सरकार ने 1000 और 500 के पुराने नोटों को बंद कर 2000 और 500 के नए नोट प्रचलन में लाए। लेकिन अब लोगों को 2000 का नोट नहीं भा रहा है। दरअसल केंद्र सरकार ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा है कि आयकर विभाग की दबिश के दौरान 2000 रुपए के नोटों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली है। विभाग का कहना है कि पहले जब आयकर विभाग की दबिश काला धन रखने वालों के ठिकानों पर दबिश देती तो 1000 और 500 रुपए के नोट भारी मात्रा में बरामद किया जाता था, लेकिन अब ये लोग 2000 रुपए के नोट से परहेज करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
आयकर विभाग से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष के दौरान जब्त की गई नकदी में आधे से भी कम मूल्य के 2000 के नोट मिले हैं। जारी आंकड़ों में इस बात का खुलासा किया गया है कि लोग 2000 के नोटों को रखने में कम रूचि दिखा रहे हैं।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आकड़ों का खुलासा करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में आयकर के छापों में मिली रकम में 67.9% मुद्रा 2000 के नोटों के रूप में थी। बीते वित्त वर्ष (2018-19) में यह आंकड़ा 65.9% और चालू वित्त वर्ष (2019-20) में अब तक 43.2% रहा है। कालाधन रखने वाले पहले बड़े नोटों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन वे अब ऐसा करने के बाजाए छोटे नोटों पर दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हो सकता है वे सोच रहे हों कि ऐसा करने से आरबीआई 2000 के नोटों की सप्लाई कम कर दे।
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ऐसा माना जा रहा है कि नोटबंदी के बाद से काला धन जमा करने वालों के मन में दहशत बैठ गया है। इसी के चलते 2000 के नोटों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। वहीं, एटीएम मशीनों से भी 2000 के नोट निकलने कम हो गए हैं।
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2000 के नोटों के प्रचलन के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 में नोटों का प्रचलन अन्य नोटों की अपेक्षा कहीं ज्यादा थी। लेकिन वर्तमान समय में 2000 के नोटों क चलन 31 प्रतिशत तक घट गया है। आरबीआई द्वारा जारी किए गए डाटा के अनुसार, मार्च 2018 में जहां 6.7 लाख करोड़ करेंसी नोटों का प्रचलन था, वहीं मार्च 2019 में यह घटकर 6.6 लाख करोड़ रुपये रह गया। एक आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2017 में 2,000 के नोटों का फ्लो लगभग आधा हो गया। इस समय इन नोटों का फ्लो केवल 31 फीसदी रह गया है। आरबीआई के डेटा के मुताबिक लगातार 2,000 के नोटों का फ्लो कम ही हो रहा है।
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