रायपुर: अयोध्या में बन रहे प्रभु श्री राम के मंदिर का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है। ताजा मामला मंदिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन के एक सौदे से जुड़ा है। समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने मनमाने दाम पर जमीन खरीदने का आरोप लगाया है, जिस जमीन की खरीदी को लेकर ये आरोप लगाया गया है। उसकी नई रजिस्ट्री महज दस मिनट में ही 2 करोड़ से साढ़े 18 करोड़ में कर दी गई। आरोप के बाद मचे बवाल पर अपनी सफाई देते हुए ट्रस्ट ने साफ किया कि नया सौदा मौजूदा रेट पर किया गया है और इसमें घोटाले जैसी कोई बात नहीं है। दरअसल कुछ माह बाद उत्तरप्रदेश में चुनाव होने वाले है और राम मंदिर वहां की सियासत का केंद्र बिंदु रहता आया है। सो इस आरोप के बाद सियासी माहौल गरमाना लाजिमी है। आरोप – प्रत्यारोप के तीर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी चल रहे हैं।
पावन नगरी अयोध्या में भगवान रामलला गर्भगृह में विराज चुके हैं, सरयु किनारे भक्ति की शक्ति दिखने लगी है। अयोध्या नगरी सजी है संवरी है। बस इंतजार है तो भव्य राम मंदिर का, जिसके निर्माण का काम लगातार चल रहा है। लेकिन उसी मंदिर से जुड़े ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। ये आरोप है जमीन खरीदी में भ्रष्टाचार के। आरोपों के मुताबिक 2 करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में
खऱीदा, जमीन की कीमत 2 करोड़ थी। लेकिन महज दस मिनट में ही डील हुई और उसकी कीमत हो गई साढ़े 18 करोड़। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह तो जमीन खरीदी में हुई गड़ब़ड़ी के लिए सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। पूरे मामले में मंदिर ट्रस्ट की ओर से सफाई भी दी गई। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने आधिकारिक पत्र जारी कर इन आरोपों का खंडन करते हुए इसे राजनीतिक आरोप बता दिया।
भले मंदिर ट्रस्ट पूरे मामले में सफाई दे रहा हो, लेकिन अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की जमीन खरीदी में हुई गड़ब़ड़ी को लेकर हजारों किलोमीटर दूर रायपुर में भी सियासी पारा चरम पर है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन देकर राम मन्दिर के लिए जमीन खरीदी में हुए गड़बड़ी की न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ से साढ़े 16 करोड़ का चंदा बीजेपी, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों ने किया था। इसी राशि का उपयोग घोटाले के लिए किया गया, जिस पर बीजेपी ने पलटवार किया कि कांग्रेस को सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं। ये तो बस भगवान राम के ननिहाल की गा रहे हैं और खा रहे हैं।
इधर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसे लेकर ट्वीट किया कि – “देखो ए दीवानों तुम ये काम न करो राम का नाम बदनाम न करो ” “भूमि खरीदी में 16 करोड़ का घोटाला है, तो हजारों करोड़ मंदिर निर्माण में जो चंदा उगाया गया है। उसमे मौजूदा ट्रस्ट जिसमें VHP के पदाधिकारी व मोदी जी द्वारा मनोनीत सदस्य हैं वे कितना और भ्रष्टाचार करेंगे। कांग्रेस के बाकी नेता भी अब इस मुद्दे पर मुखर हैं। वहीं बीजेपी भी जवाब दे रही है।
बहरहाल अयोध्या कई दशकों से देश की राजनीति की धुरी रहा है। एक बार फिर से अयोध्या की गलियों से राजनीति की लहर उठी है। मगर इस बार इसके केंद्र में राम मंदिर नहीं बल्कि इसके निर्माण करने वाला राम मंदिर ट्रस्ट है, जिसपर आरोप है कि उसने 2 करोड़ की जमीन साढ़े 18 करोड़ में खरीदी। एक पक्ष इसे भ्रष्टाचार बता रहा है तो दूसरा पक्ष इसे फेयर डिल बता रहा है, लेकिन जमीन खरीद की पूरी कहानी कई सवालों को जन्म दे रही है। क्या वाकई राम मंदिर के लिए जमीन खरीदी में गड़बड़ी हुई ? आखिर 2 करोड़ की जमीन 10 मिनट में साढ़े 18 करोड़ की कैसे हो गई? मंदिर ट्रस्ट इसे लेकर अपनी सफाई दे चुका है, लेकिन सियासी आरोपों से उपजा विवाद फिलहाल थमता नहीं दिखाई दे रहा है।
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