रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश में सामान्य मानसून का पूर्वानुमान गलत साबित हो रहा है। अब तक प्रदेश के अधिकांश इलाकों में 20 से 50 फीसदी ही बारिश के आकड़े आंके गए है, कम बारिश का प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है। वर्षा आधारित फसलों के लिए किसानों को मानसून का इंतजार रहता है।
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प्रदेश में रायपुर, दुर्ग, महासमुंद में धान के कई किस्में जवा फूल, काली मूछ, विष्णु भोग, दूबराज बोई जाती है जिनके लिए 1200 मिमी बारिश की आवश्यकता होती है। लेकिन अब तक केवल 200 मिमी ही बारिश हुई है। ऐसे में किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है। फिर भी कम बारिश में ही धान की बोआई कई जगहों में कर दी गई है और बारिश का इंतजार हो रहा है। ऐसे में फसलों की कटाई में भी देरी होगी।
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फसल बोने के एक हफ्ते बाद ही बारिश की बूंदें न पड़ने से जमीनों में दरारें पड़ गई है। धान के साथ साथ बेमेतरा, कवर्धा, खैरागढ़ में खरीफ की फसलें दलहन, तिलहन, मुंग, सोयाबीन की खेती भी की जाती है जिसे इस वर्ष अब तक नही बोया गया है। ज्यादातर जिलों में बोआई का काम शुरु भी नहीं हुआ है।
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जैसे-जैसे बारिश में देरी हो रही है, किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है 2013 में कम बारिश की वजह से ऐसी स्थिति बनी थी यदि इस वर्ष जुलाई माह में बारिश के आकड़ें नहीं बढ़े तो जो फसल बोई गई है वो कम पानी की वजह से पीले पड़ जाएंगे। इससे किसानों को काफी नुकसान होगा
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‘नाथ’ के हाथों कर्नाटक की जिम्मेदारी
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