मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के 20 वें दिन आखिरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। तमाम जद्दोजहद के बाद भी किसी राजनीतिक दल ने सरकार के लिए जरूरी जादुई आकड़ा नही जुटा पाया। जिसके बाद आज राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। इसके पहले आज मोदी केबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पास हुआ उसके बाद राष्ट्रपति ने भी स्वीकृति दे दी। इसी के साथ महाराष्ट्र में जारी संघर्ष का अंत हो गया।
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शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस फ़ैसले को चुनौती दी गई है जिसमें राज्यपाल ने शिवसेना की मांग को ठुकरा दिया था। शिवसेना ने मांग की थी कि उन्हें एनसीपी और कांग्रेस से समर्थन का लेटर लेने के लिए तीन दिन का समय दिया जाए। याचिका में आरोप लगाया कि गवर्नर बीजेपी के इशारों पर काम कर रहे हैं। उन्हें सरकार बनाने के लिए ज़रूरी वक़्त नहीं दिया।
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गवर्नर ने जहां बीजेपी को समर्थन जुटाने के लिए 48 घंटे का वक़्त दिया। वहीं शिव सेना को NCP, कांग्रेस का समर्थन जुटाने के लिए महज 24 घंटे मिले। शिव सेना ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने चीफ़ जस्टिस से पूछा है कि याचिका को सुनवाई के लिए कब लिस्ट करना है। सूत्रों के मुताबिक इससे पहले शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के नेताओं कपिल सिब्बल और अहमद पटेल से इस बारे में संपर्क भी किया।
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गौरतलब है कि नौ नवंबर को पिछले विधानसभा की मियाद खत्म हुई थी। इससे पहले राज्यपाल ने बीजेपी, शिवसेना के बाद एनसीपी को आज शाम साढ़े आठ बजे तक समर्थन जुटाने का वक्त दिया था। लेकिन संभवतया राज्यपाल को ऐसा लगा कि कोई भी दल या गठबंधन स्थिर सरकार बनाने के पक्ष में नहीं है, लिहाजा राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी।
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