नईदिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर फिर से भारत की आलोचना की है। ट्रंप ने कहा कि भारत, चीन और रूस अपने उद्योगों से निकले धुएं के निपटारे के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं और समुद्र के जरिए इन देशों का कचरा लॉस एंजेलिस पहुंच रहा है। खुद को पर्यावरणप्रेमी बताते हुए उन्होने मंगलवार को इकोनॉमिक क्लब में संवाददाताओं से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “मैं पूरी धरती पर साफ हवा और पानी चाहता हूं।”
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गौरतलब है कि ट्रंप ने जून 2017 में पेरिस जलवायु समझौते से अलग होने की घोषणा कर पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया था। इस समझौते में हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाने के लिए कई कदम उठाने पर जोर दिया गया था। ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, “अमेरिका एकतरफा, भयावह और आर्थिक तौर पर नुकसानदायक पेरिस डील से बाहर हो गया, जिसमें कहा गया था कि ‘तीन सालों के भीतर अपना बिजनेस बंद करो’, ‘खनन न करो, हमें उर्जा की जरूरत नहीं है’। भयावह पैरिस समझौते से अमेरिकी नौकरियां खत्म हो रही थीं और विदेशी प्रदूषकों को संरक्षण मिला हुआ था। “
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ट्रंप ने कहा, “पेरिस जलवायु समझौता अमेरिका के लिए मुसीबत था और इससे अमेरिका को ट्रिलियन डॉलरों का नुकसान पहुंचता। यह हमारे साथ अन्याय था, चीन को 2030 तक छूट मिली थी जबकि भारत को हमें पैसे देने पड़ते क्योंकि वे विकासशील देश हैं।” ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका के पास तुलनात्मक रूप से कम जमीन है और अगर आप चीन, भारत और रूस से तुलना करें तो पाएंगे कि ये देश अपने प्रदूषण के निपटारे के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं, अपने देश में पेड़ों का सफाया कर रहे हैं और सारा कचरा समुद्र में बहा दे रहे हैं।
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