रायपुर: धान के कटोरे में धान के मुद्दे पर सियासत कोई नई बात नहीं है, लेकिन इन दिनों प्रदेश में 9 हजार करोड़ वाली सियासत शुरू हो गई है, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दरअसल,नई भाजपा प्रदेश प्रभारी ने प्रदेश सरकार से 9 हजार करोड़ का हिसाब मांगा है, तो पलटवार में सत्ता पक्ष ने पूछा है कि पहले ये तो बता दें ये 9 हजार करोड़ दिए कब गए हैं?
छत्तीसगढ़ की नई बीजेपी प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओँ और नेताओं को रिचार्ज करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य को 9 हजार करोड़ देने का राग छेड़ दिया है। रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे भवन में पार्टी नेताओं के साथ ताबड़तोड बैठकें लेने के बाद जब डी पुरंदेश्वरी मीडिया के सामने आईं, तो उन्होंने राज्य सरकार से इसे लेकर सवाल पूछा।
डी पुरंदेश्वरी के सवालों और आरोपों का जवाब देने खुद कांग्रेस सरकार के मुखिया भूपेश बघेल सामने आए और जवाबी हमला करते हुए बीजेपी की नई प्रभारी पर गलत जानकारी देने और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की भाषा बोलने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा कि पुरंदेश्वरी बताएं कि 9 हजार करोड़ रुपए कब दिए गए। इधर पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी बीजेपी प्रभारी पर गलत बयान देने का आरोप लगाया।
धान खरीदी का मुद्दा छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से सूबे की राजनीति में केंद्र में रहा है। जब-जब केंद्र में एनडीए और राज्य में केंद्र की सरकारें रही हैं टकराव सामने आते रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि डी पुरंदेश्वरी ने 9 हजार करोड़ का जो नया राग छेड़ा है, क्या बीजेपी को संजीवनी दे पाएगी? क्या बीजेपी की प्रदेश इकाई के नेता किसानों के लिए अपने नेता केंद्रीय नेतृत्व से बात कर पाएंगे? या फिर बीजेपी की सारी कवायद खुद को किसान हितैषी बताकर उनका समर्थन हासि करने की कवायद भर ही है? लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो किसानों का है जिसके लिए दोनों सियासी पार्टियां को दलगत भावना से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है?