रायपुर। नक्सलवाद की समस्या और रोजगार समेत कई मुद्दों को लेकर दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सीएम भूपेश बघेल की मुलाकात हुई.. इस दौरान उन्होंने बस्तर के विकास के लिए कुछ सुझाव दिए और केंद्र से सहयोग की मांग की.. अमित शाह से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात की.. और प्रदेश में एथेनॉल उत्पादन और वनांचल क्षेत्र में मिट्टी तेल का कोटा बढ़ाने का आग्रह किया..हालांकि मुलाकात को लेकर छत्तीसगढ़ बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग शुरू हो गई है।
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की.. भूपेश बघेल ने गृहमंत्री अमित शाह से जहां नक्सलवाद, बस्तर में औद्योगिक विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने संबंधी मुद्दों पर बातचीत की..तो बस्तर में लगने वाले स्टील प्लांट्स को 30 फीसदी छूट पर लौह अयस्क देने मांग भी की है.. इस दौरान दोनों के बीच नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचार सुविधा बढ़ाने..बस्तर में CRPF की 2 और बटालियन की तैनाती समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई..जिस पर गृह मंत्री ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया.. सीएम भूपेश बघेल इसके बाद केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी मिले..सीएम ने केंद्रीय मंत्री से प्रदेश में एथेनॉल उत्पादन की अनुमति और वनांचल क्षेत्रों में मिट्टी के तेल का कोटा बढ़ाने का आग्रह किया है।
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मुलाकात से पहले भूपेल बघेल ने गृह मंत्री अमित शाह को नक्सलवाद के मुद्दे पर एक चिट्ठी भी लिखी थी.. मुख्यमंत्री की केंद्रीय गृह और पेट्रोलियम मंत्री से मुलाकात को बीजेपी ने राज्य सरकार का दोहरा चरित्र करार दिया है ..बीजेपी ने कहा कि मुख्यमंत्री एक ओर केंद्र सरकार की योजनाओं को बंद कर रहे हैं दूसरी ओर केंद्र से सहयोग की उम्मीद रखते हैं, ये उनके दोहरे चरित्र को उजागर करता है..हालांकि कांग्रेस ने भी पलटवार करने में देरी नहीं की।
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बस्तर में नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने औद्योगिक क्रांति के मॉडल पर जोर दिया है..इसकी वजह है बस्तर में मिनरल्स और खनिज की अकूत भंडारण.. लेकिन राजनीतिक चेतना और नक्सलवाद के कारण दशकों से ये इलाका उपेक्षित रहा है..हालांकि ऐसा नहीं है कि सरकारों ने यहां विकास का प्रयास नहीं किया..लेकिन स्थानीय आदिवासियों का विश्वास जीत न पाने की वजह से कई प्रोजेक्ट या तो अधूरे हैं या पूरी तरह बंद हो गए.. बोधघाट परियोजना हो या फिर स्टील प्लांट.. बस्तर में विरोध का सामना करना पड़ा है.. विरोध के कारण ही एस्सार और टाटा जैसी कंपनियों को भी थक हार कर यहां से अपने हाथ वापस खींचने पड़े।
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इस लिहाज से केंद्रीय गृह मंत्री और भूपेश बघेल की मुलाकात अहम मानी जा रही है..अब देखना होगा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार किस तरह से बस्तर में उद्योग क्रांति को हरी झंडी दिखाते हैं.।
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