रायपुर: नगरीय निकाय चुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है। इसी बीच सरकार महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से कराने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस फैसले से कई दावेदारों को तगड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही कई दावेदारों ने अपने लिए सुरक्षित सीट तलाश करना शुरू कर दिया है।
सरकार के इस फैसले के बाद भाजपा के प्रमुख दावेदार संजय श्रीवास्तव, प्रफुल्ल विश्वकर्मा, सुभाष तिवारी, राजीव अग्रवाल ने जहां अपने लिए सुरक्षित वार्ड तलाशना शुरू कर दिया है। वहीं, पूर्व विधायक श्रीचन्द सुंदरानी और रायपुर से भाजपा के पूर्व महापौर प्रत्याशी सच्चिदानंद उपासने ने खुद को महापौर बनाने का फ़ैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है।
श्रीचन्द सुन्दरनी का आरोप है कि अपनी हार की संभावना को देखते हुए कांग्रेस ये रणनीति बनाई है। उन्होंने कहा कि वे महापौर पद के दावेदार हैं। लेकिन पार्षद चुनाव नहीं लड़ेंगे।
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वहीं कांग्रेस प्रमुख दावेदार तत्कालीन महापौर प्रमोद दुबे का कहना है कि सरकार ने अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसका निर्णय होने और इससे सम्बन्धित दिशा निर्देश मिलने के बाद प्रत्याशी तय किया जाएगा। उन्होंने अभी इसको लेकर कोई रणनीति नहीं बनाई है।
सूत्रों से पता चला है कि भाजपा इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदेश स्तरीय दमदार मोर्चा खोलने की तैयारी में है। इस बीच दोनों पार्टियों के महापौर पद के दावेदार पुराने और स्थापित पार्षदों को सेट करने में लग गए है।