कोरोना वैक्सीन पर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा- Co-Vaccine ने भेजें | Political fire in Chhattisgarh on Corona vaccine, Health Minister TS Singhdev said- send the vaccine

कोरोना वैक्सीन पर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा- Co-Vaccine ने भेजें

कोरोना वैक्सीन पर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा- Co-Vaccine ने भेजें

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:46 PM IST
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Published Date: February 11, 2021 5:52 pm IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में कोरोना वैक्सीन को लेकर सियासी घमासान मच गया है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने को-वैक्सीन के राज्य में इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए साफ-साफ कह दिया है कि केंद्र हमें कोविशील्ड वैक्सीन ही भेजे। उन्होंने तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने से पहले राज्य के नागरिकों को को-वैक्सीन नहीं लगाने की बात कही है। इस नए विवाद के बीच केंद्र की ओर से भेजे गए को-वैक्सीन के 72 हजार 540 डोज डंप पड़े हैं और प्रदेश में किसी को भी ये टीका नहीं लगाया गया है।

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बता दें कि 19 बॉक्स में कोरोना वैक्सीन की 5 वीं खेप रायपुर पहुंची, तो वॉटर केनन से इसका स्वागत किया गया। केंद्र सरकार 5 चरणों में छत्तीसगढ़ में कोरोना वैक्सीन की डोज भेज चुकी है। जिसमें से 8 लाख 11 हजार 500 सीरम इंस्टीट्यूट की बनी कोविशील्ड वैक्सीन और 72 हजार 540 भारत बायोटेक की बनी को-वैक्सीन है। विवाद इसी 72 हजार 540 डोज को-वैक्सीन को लेकर है। जिसका एक भी डोज यहां किसी को नहीं लगाया गया है। हालांकि छत्तीसगढ़ भेजी गई को-वैक्सीन की एक्सपायरी डेट 8 मई है। जबकि अब तक एक लाख 67 हजार 852 को कोविशील्ड वैक्सीन लगाया जा चुका है। दूसरी बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को चिट्ठी लिखकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में को-वैक्सिन न भेजें, क्योंकि इसके ट्रायल का तीसरा फेस पूरा नहीं हुआ है। वहीं मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि वैक्सीन का फैसला राज्यों पर छोड़ देना चाहिए।

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स्वास्थ्य मंत्री के इस आदेश पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस वैक्सीन पर सवाल उठाकर स्वास्थ्य मंत्री प्राइवेट कंपनी की वैक्सीन को प्रमोट कर रहे हैं।

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दरअसल, सारे विवाद की जड़ को-वैक्सीन के डोज के साथ आए 15 पेज के सहमति पत्र की वजह से है। जिसमें इस्तेमाल के दौरान टीका लगवाने वाले को सिग्नेचर करना है। हालांकि विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि अगर सरकार को टीके का इस्तेमाल नहीं करना था, तो उसे रिसीव ही नहीं करना था।

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