रायपुर: असम में चुनाव प्रचार के बहाने प्रदेश के नेता अब एक-दूसरे पर पर्सनल अटैक करने लगे हैं। रोजगार देने को लेकर कांग्रेस के अधूरे वदे पर रमन सिंह ने ट्वीट किया, तो इधर कांग्रेस के कद्दावर मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि रमन सिंह विफलता का पर्याय बन चुके हैं। पीसीसी अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि असम जाकर रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ को केवल बदनाम किया है। वार-पलटवार का दौर पार्टियों के अधूरे वादों से इतर बेटे-दामाद को नसीहत के पर्सनल लेवल तक पहुंच गया। बड़ा सवाल ये है कि इस पर्सनल अटैक का किसे कितना और कब तक फायदा मिलेगा ?
तो आपने सुना कि किस तरह छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दिग्गज नेता और वरिष्ठ मंत्री पूर्व सीएम रमन सिंह पर हमलावर हो गए हैं। इसके पीछे वजह भी साफ है भाजपा ने पूर्व सीएम रमन सिंह को असम में स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया था। बावजूद इसके असम में भूपेश बघेल की सक्रियता और 20 लाख से ज्यादा छत्तीसगढ़िया लोगों को प्रभावित करने, भाजपा ने रमन सिंह को मैदान में उतारा। रमन ने असम में दो दिन के भीतर आधा दर्जन सभाएं ली, जिसमें रमन सिंह ने असम में भाजपा सरकार के विकास कार्यों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की वादाखिलाफी पर बार-बार हमला बोला। असम से लौटकर भी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने ट्वीट कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के युवाओं को रोजगार देने वाले फार्म का जिक्र किया।
रमन सिंह ने ट्वीट कर दो फार्म अपलोड किए। पहला छत्तीसगढ़ में सरकार बनने से पहले कांग्रेस के युवाओं से रोजगार देने के लिए भरवाया गया फार्म, तो दूसरा असम में युवाओं को रोजगार देने बावत भरवाया जा रहा कांग्रेस का फार्म। रमन सिंह ने तंज कसा कि कांग्रेस ने फार्म तो भरवाए लेकिन छत्तीसगढ़ में किसी को रोजगार नहीं दिया। इसलिए अब असम की जनता सावधान रहे, कांग्रेस आपके साथ विश्वासघात कर रही है। इस पर कांग्रेस ने भी जमकर पलटवार किया, कांग्रेस ने कटाक्ष कर लिखा डॉ साहब, हमने अभी अभी डाटा बेस चेक किया है..आपके पुत्र और दामाद ने इस फार्म को नहीं भरा था…अभी मंडी समिति में वैकेंसी निकली है, कृपया उन्हें सुझाव दें अगर योग्य हों तो एप्लाई करें। इस ट्वीट वार-पलटवार पर PCC अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि रमन सिंह असम में छत्तीसगढ़ को बदनाम करने गए थे। जबकि भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर कमेंट के बजाए छत्तीसगढ़ के विकास के लिए सोचना चाहिए।
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कुल मिलाकर असम का प्रचार वॉर अब पार्टी से हटकर पर्सनल हो चुका है। देखना होगा कि सालों से पर्सनल अटैक झेल रहे रमन सिंह इसका कैसे और क्या जवाब देते हैं? सवाल ये भी कि कांग्रेस की ये रणनीति उसे कहां तक कामयाब बना पाती है?
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