भोपाल: मध्यप्रदेश में एक बार फिर कोरोना आउट ऑफ कंट्रोल होता जा रहा है। केंद्र सरकार ने भी चेतावनी दी है कि MP के इंदौर, भोपाल सहित 10 जिलों में स्थिति गंभीर है। पिछले चार माह से कोरोना की रफ्तार धीमी थी, बावजूद इसके मार्च में संक्रमण बढ़ा। संक्रमण की दर 10 दिन में दो गुना हो गई है। जैसे-जैसे केस बढ़ रहे हैं, सूबे में कोरोना पर सियासत भी गरमाती जा रही है। कांग्रेस संक्रमण बढ़ने का जिम्मेदार बीजेपी सरकार को ठहरा रही है, तो बीजेपी सरकार कोरोना को रोकने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाने की दलील दे रही है।
प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच पूर्व CM और PCC चीफ कमलनाथ ने हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई। टीका लगाने के बाद कमलनाथ प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को को लेकर राज्य सरकार पर जमकर बरसे। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि शिवराज सरकार कोरोना को रोकने नाइट कर्फ्यू लगाती है, लेकिन शराब की दुकानें रात 11 बजे तक खुलवाती है। खुद शिवराज सिंह चौहान बड़े-बड़े राजनीतिक कार्यक्रम करते हैं लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए कोरोना पर चिंता जताते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए बीजेपी सरकार को घेरा।
इससे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों के बढ़ते आंकड़ो पर चिंता जाहिर की है। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में पीएम मोदी ने सीएम शिवराज को कोरोना की रोकथाम करने के लिए जोर देने की बात कही है। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर और भोपाल में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। कोरोना से प्रभावित 8 शहरों पर खास निगरानी रखने के निर्देश भी दिए, लेकिन कोरोना के मामले थमने के बजाए बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेशवासियों को कोरोना से डरने की नहीं सावधान रहने की जरूरत है।
मध्यप्रदेश में कोरोना के आंकड़ों की बात करें तो, पिछले 24 घंटे में 917 नए केस मिले हैं। इसमें सबसे ज्यादा इंदौर में 294 मरीज मिले, जबकि भोपाल में ये आंकड़ा 184 रहा। इससे पहले प्रदेश में 27 दिसंबर 2020 को 946 मरीज मिले थे। चिंता की बात ये है कि एक्टिव केसों की संख्या 6 हजार के पार हो गई है। ऐसे में जब सूबे में एक बार फिर महामारी पूरी रफ्तार से अपने पैर फैला रहा है। इसे लेकर शुरू हुआ सियासी घमासान कई सवाल उठाता है। सबसे बड़ा सवाल ये कि कोरोना के खिलाफ जंग में साथ जरूरी या सियासत?
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