नई दिल्ली। भारत में जल संकट एक बड़ी समस्या बनती जा रही है| नीति आयोग के मुताबिक 2020 तक 21 शहरों में भूमिगत जल लगभग खत्म हो जाएगा। भूमिगत जल का दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में होता है भूमिगत जल का इस्तेमाल पूरी दुनिया करती है उसका 24 फीसदी अकेले भारत करता हैं।
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वहीं 2000 से 2010 के बीच भारत में भूमिगत जल में 23 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। फिलहाल देश में प्रति व्यक्ति 1000 घनमीटर पानी उपलब्ध है जो वर्ष 1951 में 3-4 हजार घनमीटर था| 1700 घनमीटर प्रति व्यक्ति से कम उपलब्धता को संकट माना जाता है। अमेरिका में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति आठ हजार घनमीटर है।
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लिहाजा गंभीर विषय की बात है कि देश में नदियों की कमी नहीं है लेकिन बावजूद इसके आज भारत जल संकट के दौर से गुजर रहा है, और जिन नदियों में पानी है भी उनमें ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक और कई जगह नहाने लायक तक नहीं है।
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पानी भरने के लिए लगी लंबी-लंबी कतारें और लोगों के बीच होती लड़ाई किसी भी जगह देखी जा सकती है। लोगों को पानी के इस्तेमाल ध्यान से किए जाने की चेतावनी दी जा रही है। इसके साथ ही देश के इन राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान, गोवा, केरल, ओडिशा, बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, झारखंड, सिक्किम, असम, नागालैंड, उत्तराखंड और मेघालय में भी पानी की स्थिति सही नहीं है।
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