इंदौर । पुलिस ने माफिया पर शिकंजा कसने के लिए ना केवल इंदौर बल्कि अन्य राज्यों में भी बड़े स्तर पर कार्रवाई की है, जिसमें ना केवल छोटी मछलियां बल्कि बड़े मगरमच्छ भी पुलिस के जाल में फंसे हैं। ऑपरेशन प्रहार के जरिए भेष बदलकर पुलिस, अंडरवर्ल्ड और खतरनाक गैंग से जुड़े इन माफियाओं तक पहुंची और इन्हें धर दबोचा ।
इंदौर पुलिस ने ड्रग्स को लेकर जितनी बड़ी कार्रवाई की उससे ना केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे राष्ट्रीय स्तर पर इस कार्रवाई की सराहना हुई है। आपको बताते हैं पुलिस के ऑपरेशन प्रहार के इनसाइड स्टोरी, जिसमें महाराष्ट्र राजस्थान गुजरात हैदराबाद तेलंगाना इन सभी राज्यों में पुलिस ने ड्र्ग्स माफियाओं को कैसे पकड़ा, कितने दिनों तक इन राज्य में पुलिस डेरा डाले रही और कितने भेष बदलकर इन आरोपियों को पकड़ा है।
दरअसल पुलिस को सबसे बड़ी सफलता तब हासिल हुई थी जब हैदराबाद से इंदौर आ रहे 70 करोड़ के एमडी ड्रग्स मामले में पुलिस ने इस कंसाइनमेंट सहित आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल की, जब आरोपियों से पूछताछ की गई तो इससे ना केवल अंडरवर्ल्ड से जुड़े बल्कि कई खूंखार अपराधियों के संबंध में जानकारी मिली है। इन आरोपियों को पकड़ना और इनकी गैंग तक पहुंचना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी ।
पुलिस ने इन अपराधियों के बीच अपने मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया, इनके सूचना तंत्र में सेंध लगाई और फिर यहां से शुरू होती है पुलिस के ऑपरेशन प्रहार की इनसाइड स्टोरी ।
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मुंबई से अंडरवर्ल्ड गैंग दाऊद इब्राहिम गैंग के शार्प शूटर वसीम को पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच पुलिस ने 12 दिन तक सब्जी का ठेला लगाया, राजस्थान में ड्र्ग्स के बड़े माफिया खुर्शीद उर्फ कुंडी बाबा और रज्जाक गिरफ्तार करने के लिए पुलिस अजमेर दरगाह के पास 15 दिनों से ज्यादा भिखारी और फकीर बन कर दरगाह के पास बैठी रही, वहीं मुंबई बम धमाकों में शामिल रहे अय्यूब को पकड़ने के लिए पुलिस ऑर्थर रोड सिग्नल पर गाड़ी साफ करने और बच्चों के छोटे सामान बेचने वालों का भेष बनाकर काम किया, वही तेलंगाना और हैदराबाद में आरोपियों को पकड़ने के लिए एक जगह पर जूते ठीक करने वाले मोची और सब्जी का ठेला लगाकर आरोपियों को पकड़ा, मुंबई से ही सरदार खान को पकड़ने के लिए पुलिस,खुद ड्रग्स का खरीददार बन कर आरोपी तक पहुंची, ऐसे कई आरोपियों को पुलिस ने अलग-अलग भेष बदलकर पकड़ा।
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पुलिस ने इन सभी आरोपियों को जहां से पकड़ा, वो इतने खतरनाक इलाके थे कि आरोपियों को जरा भी भनक लगती तो इस अभियान में जुटे में इंदौर क्राइम ब्रांच पुलिस के अधिकारियों की जान भी जा सकती थी, दरअसल मुंबई, राजस्थान और अन्य राज्यों के यह वह इलाके हैं जो कि ड्रग्स के बड़े गढ़ माने जाते हैं और इन गढ़ में सेंध लगाकर वहां के बड़े बदमाशों को पकड़ कर लाना और उन्हीं से पूछताछ में उनके अन्य साथियों तक पहुंचना पुलिस के लिए ना केवल एक बड़ी चुनौती थी, बल्कि ये काम असंभव सा लग रहा था, हालांकि पुलिस ऑपरेशन प्रहार के तहत एक नई स्ट्रेटजी के साथ काम कर रही थी ।
इस ऑपरेशन के दौरान कई मर्तबा तो ऐसा मौका भी आया कि अपराधियों को पकड़ने के लिए मुठभेड़ भी हो सकती थी, लेकिन आरोपियों को पकड़ने और उन्हें इंदौर लाकर पूछताछ करने में संयम बरतने की वजह से ऐसे घटनाओं को टाला गया, पुलिस ने कई दिन तक इंतजार किया और मौका मिलते ही बदमाशों को धर दबोचा, पुलिस इन सभी बदमाशों को इंदौर लेकर आई ।
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ड्र्ग्स के एक बड़े नेटवर्क को इंदौर पुलिस तोड़ने में कामयाब रही , आगे भी ऐसे बड़े स्तर के नेटवर्क खंगाले जा रहे हैं, जिसमें ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के ड्रग माफिया भी जुड़े हुए हैं। इंदौर आईजी हरिनारायण चारी मिश्रा के मुताबिक पुलिस को जटिल क्षेत्रो में जाकर काम करना पड़ता है, खबरों की हेड लाइन में बड़ी कार्रवाई अवश्य पढ़ी जाती है, लेकिन उस कार्रवाई के पीछे पुलिस कितने समय तक कहां रहती है, किन परिस्थितियों में रहकर आरोपियों को पकड़ती है, यह काफी जटिल होता है, और यह पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण काम है कि युवाओं को ड्र्ग्स के चुंगल में फंसने से बचाने के लिए हर उस स्तर तक की कार्रवाई पुलिस करेगी जहां से इसके नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके ।